“भाजपा सरकार की कमजोर और अपारदर्शी नीति ने हजारों युवाओं के भविष्य पर डाला ग्रहण”
चंडीगढ़, 23 मई। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की भर्ती प्रक्रिया में आर्थिक-सामाजिक आधार पर दिए गए अतिरिक्त अंकों को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा रद्द किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को सरकार की कमजोर, अपारदर्शी और असंवेदनशील नीतियों का परिणाम बताया है।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार द्वारा 10 अतिरिक्त अंक देने का नियम न केवल संविधान की मूल भावना के खिलाफ था, बल्कि इससे निष्पक्षता और समानता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों को भी गहरी ठेस पहुंची। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह स्थिति न्यायालय के निर्णय की नहीं, बल्कि सरकार की अदूरदर्शी नीति की देन है।
“हाईकोर्ट का फैसला तकनीकी रूप से भले ही वैध हो, लेकिन नैतिक और राजनीतिक तौर पर इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। अगर शुरुआत से ही नियम न्यायसंगत और संविधान सम्मत बनाए जाते, तो नौबत ही न आती,” – कुमारी सैलजा
सांसद ने याद दिलाया कि 11 नवंबर 2019 को हरियाणा सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना संविधान में निहित समानता के अधिकार के विरुद्ध थी। उन्होंने कहा कि यह नियम कुछ वर्गों को खुश करने और राजनीतिक लाभ उठाने के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन इसे पारदर्शिता और विधिक कसौटियों पर परखा नहीं गया।
कुमारी सैलजा ने चिंता जताई कि इस फैसले से 25 से 30 हजार युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है, जिनमें से लगभग 10 हजार अभ्यर्थियों की नियुक्ति सीधे तौर पर प्रभावित हुई है। कई ऐसे प्रतिभाशाली युवा भी चयन से बाहर रह गए जिन्होंने 90 में से 90 अंक प्राप्त किए थे। इससे न्याय की भावना और मेधा की मान्यता दोनों को आघात पहुंचा है।
उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह वही सरकार है जिसने 75% प्राइवेट नौकरियां हरियाणवियों को देने का खोखला वादा किया था, जो न अदालत में टिका और न ज़मीनी हकीकत में कभी लागू हुआ।
“यह सरकार युवाओं की भावनाओं से बार-बार खिलवाड़ कर रही है। यह स्थिति केवल नीतिगत विफलता नहीं, बल्कि बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ किया गया अन्याय है।” – सैलजा
उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल प्रभाव से इस निर्णय की समीक्षा करे और प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए वैकल्पिक समाधान प्रस्तुत करे, ताकि उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।
“बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के साथ ऐसा खिलवाड़ किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। सरकार को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा।“