चंडीगढ़, रेवाड़ी, 26 मई 2025। स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जहां एक ओर प्रधानमंत्री ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के नाम पर महिलाओं को महिमामंडित कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता महिलाओं, सेना और शहीद परिवारों का खुलेआम अपमान कर रहे हैं, और पार्टी नेतृत्व ऐसे बयानों पर कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय उन्हें नज़रअंदाज़ कर रहा है।

विद्रोही ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी दावा करते हैं कि उनकी नसों में खून नहीं, बल्कि सिन्दूर दौड़ता है। लेकिन हरियाणा से भाजपा राज्यसभा सांसद रामचन्द्र जांगड़ा ने पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं को सार्वजनिक मंच से ‘कायर’ और ‘वीरांगना न होने योग्य’ बताकर न केवल उनका अपमान किया, बल्कि उनके जख्मों पर नमक भी छिड़का।”

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व जांगड़ा के इन बयानोें को उनके ‘निजी विचार’ बताकर पल्ला झाड़ रहा है, जो एक प्रकार से ऐसे बयानों का परोक्ष समर्थन है।

विद्रोही ने ऑपरेशन सिन्दूर की जानकारी देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह के बयान की भी कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने उन्हें ‘आतंकवादियों की बहन’ कहकर संबोधित किया था। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने गंभीर और अपमानजनक बयान देने के बावजूद विजय शाह आज भी मंत्री पद पर बने हुए हैं।

उन्होंने मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की उस टिप्पणी को भी आड़े हाथों लिया, जिसमें देवड़ा ने भारतीय सेना को ‘मोदी चरणों में नतमस्तक’ बताया था। विद्रोही ने कहा, “यह न केवल सेना का घोर अपमान है, बल्कि देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की भी अवमानना है।”

विद्रोही ने आरोप लगाया कि “ऑपरेशन सिन्दूर” के नाम पर भाजपा महिला सशक्तिकरण का दिखावा कर रही है, जबकि उसके ही नेता महिलाओं और शहीदों के परिवारों को अपमानित कर रहे हैं।

उन्होंने हरियाणा के वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. रामबिलास शर्मा के उस बयान को भी आड़े हाथों लिया, जिसमें उन्होंने भगवान परशुराम के कथन के संदर्भ में समूचे क्षत्रिय समाज को ‘आतंकवादी’ करार दिया था। विद्रोही ने कहा, “यह भाजपा का सत्ता के अहंकार में डूबा हुआ और समाजों को बांटने वाला घोर निंदनीय प्रयास है।”

अंत में विद्रोही ने कहा कि भाजपा का यह दोहरा चरित्र—एक ओर महिला और सेना सम्मान की बात करना और दूसरी ओर उनके अपमान पर चुप रहना—दरअसल उसकी फासीवादी सोच को उजागर करता है।

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