30 मई 2025 | चंडीगढ़, रेवाड़ी – स्वयंसेवी संगठन ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “मोदी और भाजपा आज इतने बेशर्मी से झूठ बोल रहे हैं कि उन्हें न तो कोई झिझक है और न ही कोई शर्म।” उनका आरोप है कि सरकार ने दावा किया है कि किसानों को लागत मूल्य से 50% अधिक लाभकारी एमएसपी दिया गया है, जबकि सच्चाई इसके उलट है।

विद्रोही ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्री जब देश के किसानों से जुड़े तथ्यों पर सफेद झूठ बोलते हैं, तो यह दिखाता है कि यह सरकार कितनी जनविरोधी और संवेदनहीन हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बुधवार को घोषित किए गए 14 खरीफ फसलों के एमएसपी की वृद्धि दर वर्ष 2024 की तुलना में मात्र 1% से 9% के बीच है। मूंग के दाम सिर्फ 1%, धान के 3%, बाजरे के 5%, जबकि दलहन में 5.96% और तिलहन में 9% की बढ़ोतरी की गई है।

महंगाई बढ़ी, लागत बढ़ी — फिर किस ‘लाभकारी एमएसपी’ की बात?

विद्रोही ने सवाल उठाया कि जब रुपये का अवमूल्यन हुआ है, उर्वरक, बीज, डीजल, कीटनाशक और मजदूरी की लागत बढ़ चुकी है, तो सरकार किस आधार पर कह रही है कि किसानों को लाभकारी एमएसपी दिया गया है?

उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस-यूपीए सरकार (2004–2014) के 10 वर्षों में रबी और खरीफ दोनों फसलों के एमएसपी में औसतन 14–15% वार्षिक वृद्धि होती थी, जबकि मोदी सरकार के 11 वर्षों में यह वृद्धि सिर्फ 5–7% रही है। फिर भी, सरकार दावा कर रही है कि उसने लागत से 50% अधिक एमएसपी दिया है। विद्रोही का कहना है कि यह “झूठ की पराकाष्ठा” है।

सरकारी एमएसपी बनाम वास्तविक लागत मूल्य: तथ्य खुद बोलते हैं

वेदप्रकाश विद्रोही ने किसानों के लिए घोषित एमएसपी और वास्तविक लागत मूल्य (C2 फॉर्मूला आधारित) का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए बताया:

फसलघोषित एमएसपी (2025-26)लागत मूल्य (C2)घाटा प्रति क्विंटल
बाजरा₹2775₹3314₹539 घाटा
रागी₹4886₹5964₹1078 घाटा
धान₹2369₹3135₹766 घाटा
मक्का₹2400₹2795₹395 घाटा
ज्वार₹3699₹4809₹1110 घाटा
अरहर₹8000₹10956₹2956 घाटा
मूंगफली₹7263₹9071₹1808 घाटा
कपास₹7710₹10076₹2366 घाटा

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि सरकार का 50% लाभ का दावा पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठा है।

घाटे की खेती और आत्महत्या की त्रासदी

विद्रोही ने कहा कि लागत से कम एमएसपी देकर मोदी सरकार ने किसानों को घाटे की खेती और कर्ज के कुचक्र में झोंक दिया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 से 2024 के बीच डेढ़ लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की—और यह सब “न्यूनतम समर्थन” के नाम पर अधिकतम धोखे का नतीजा है।

“यह सरकार किसानों को लूटती भी है और ठगती भी है”

विद्रोही का अंतिम कथन तीखा लेकिन सच के बेहद करीब है — “मोदी सरकार का असली चरित्र यही है कि वह किसानों को लूटती भी है और झूठ बोलकर ठगती भी है। इसका हर वादा छलावा है, और हर घोषणा एक प्रचार अभियान का हिस्सा।”

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