भारत सारथि, ऋषिप्रकाश कौशिक

गुरुग्राम, 31 मई 2025 – गुरुग्राम की चमक-धमक के पीछे छिपी एक कड़वी सच्चाई फिर से उजागर हो रही है। शहर की सड़कों और बस्तियों में कूड़े के ढेर, जलभराव और गंदगी की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। मानसून से ठीक पहले की ये तस्वीरें साफ दर्शा रही हैं कि नगर निगम की व्यवस्थाएं पूरी तरह से विफल हो चुकी हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कूड़ा समय पर नहीं उठाया जा रहा, जिससे नालियों का पानी सड़कों पर बहने लगा है। प्लास्टिक कचरे और गंदे पानी के कारण डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।
प्रशासन के गैरजिम्मेदार रवैये पर जनता आक्रोशित है। न तो सफाई अभियान चलाया जा रहा है, न ही जल निकासी को लेकर कोई ठोस कदम उठाए गए हैं। वहीं, स्थानीय विधायक हाल ही में एक पार्क में लाइट उद्घाटन और सांसद राव इंद्रजीत से मुलाकात जैसे प्रचारात्मक आयोजनों में व्यस्त नजर आ रहे हैं।
नगर निगम के महापौर और पार्षद बीते तीन महीनों से महापौर व डिप्टी मेयर की कुर्सी की जोड़तोड़ में उलझे हैं। शहर की समस्याओं पर उनका कोई ध्यान नहीं है।
जनता का सवाल—जब जिम्मेदार ही मौन हों, तो गुहार किससे करें?
गुरुग्रामवासियों को अब अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता की लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ रही है। प्रशासन की निष्क्रियता और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी से जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। अगर अब भी समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो हालात भयावह हो सकते हैं।