गुरुग्राम, 1 जून। देश की राजधानी से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। शहर की सड़कों पर पसरी गंदगी, ओवरफ्लो सीवरेज और जलभराव ने नगर निगम और सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने इन हालातों पर तीखा तंज कसते हुए कहा—

“पहले नंबर छोड़ो, टॉप 100 में आ जाएं तो भी गनीमत है”

गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था की तुलना देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से करते हुए गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि चुनावी वादे तो इंदौर जैसा बनाने के हुए, लेकिन गुरुग्राम की गिनती अब तक ‘स्वच्छ भारत’ के 100 टॉप शहरों में भी नहीं होती। यह स्थिति शर्मनाक ही नहीं, सरकारी दावों की पोल खोलने वाली है।

“वादा और दावा इंदौर जैसा, लेकिन ज़मीन पर प्लानिंग नदारद”

उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं ने जनता को इंदौर से भी बेहतर गुरुग्राम का सपना दिखाया था, लेकिन हकीकत में न कोई ठोस योजना बनी और न ही समय रहते सफाई पर काम हुआ। सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है कि कैसे गंदगी, सीवरेज और जलभराव जैसे मुद्दों का समाधान निकाला जाए।

“नेता चुनाव में आए, वादे किए और जीत के बाद गायब हो गए”

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि हर चुनाव में नेता गुरुग्राम की किस्मत बदलने का वादा करते हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव बीतते हैं, वे अपने बयानों से पीछे हट जाते हैं। जीत के बाद न तो वे शहर की सुध लेते हैं और न ही उन वादों की, जो जनसभाओं में किए गए थे।

“शहर बना गंदगी का अड्डा, सीवरेज का पानी सड़कों पर बहता”

उन्होंने कहा कि गुरुग्राम की गलियों और कॉलोनियों की हालत दयनीय है। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं, सीवरेज ओवरफ्लो हो रहा है और बदबूदार पानी सड़कों पर बह रहा है। ऐसे हालात में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। लेकिन, प्रशासन सिर्फ एडवाइजरी जारी कर अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है।

“डेंगू-मलेरिया फैला तो जिम्मेदार कौन?”

गुरिंदरजीत सिंह ने चेताया कि यदि आने वाले समय में डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारियां फैलती हैं तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार और स्थानीय प्रशासन की होगी। उन्होंने मांग की कि जनता से किए वादों को पूरा किया जाए और तुरंत प्रभाव से शहर की सफाई व्यवस्था पर कार्य शुरू किया जाए।

“स्वच्छता नारों से नहीं, ज़मीनी बदलाव से आती है”

लेख के अंत में गुरिंदरजीत सिंह ने कहा, “स्वच्छ भारत सिर्फ पोस्टर और विज्ञापन से नहीं बनेगा। इसके लिए ठोस प्लानिंग, ज़िम्मेदार नेतृत्व और ईमानदार कार्यशैली चाहिए। नहीं तो गुरुग्राम यूं ही ‘कूड़ाग्राम’ बना रहेगा।”

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