कुरुक्षेत्र नगर परिषद की बैठक में विधायक अशोक अरोड़ा के अपमान पर जताई तीव्र आपत्ति, सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप

चंडीगढ़, कुरुक्षेत्र, रेवाड़ी, 4 जून 2025। स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कुरुक्षेत्र नगर परिषद की एक आधिकारिक बैठक के दौरान कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा के साथ हुए कथित दुव्यवहार और पूर्व पार्षद द्वारा अनाधिकृत रूप से बैठक में शामिल होने की घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे न केवल एक चुने हुए जनप्रतिनिधि का अपमान बताया, बल्कि हरियाणा की भाजपा सरकार पर अपने कार्यकर्ताओं को संविधान और कानून से ऊपर समझने का गंभीर आरोप भी लगाया है।

विद्रोही ने कहा कि घटना के लगभग पंद्रह दिन बाद भी दोषियों के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई न होना यह दर्शाता है कि हरियाणा में जंगलराज और प्रशासनिक पक्षपात व्याप्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि घटना कैमरे पर रिकॉर्ड होने और शिकायत दर्ज होने के बावजूद, आरोपी पूर्व पार्षद और भाजपा से जुड़े अन्य लोगों पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।

डीसी और एसपी को तत्काल निलंबित करने की मांग

वेदप्रकाश विद्रोही ने कुरुक्षेत्र के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे कानून के अनुसार कार्रवाई करने की बजाय, संविधान की खुली अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने दोनों अधिकारियों को तत्काल निलंबित किए जाने की मांग की।

जनप्रतिनिधियों की जगह परिवारजन क्यों?

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि नगर निकायों की बैठकों में चुने हुए पार्षदों के स्थान पर उनके पारिवारिक सदस्य कैसे भाग ले सकते हैं। “यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है,” विद्रोही ने कहा। उन्होंने सरकार से स्पष्ट किया कि ऐसे नियमविरुद्ध कार्यों में शामिल अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।

अन्य कांग्रेस विधायकों से भी दुव्यवहार

विद्रोही ने आदमपुर से कांग्रेस विधायक चंद्रप्रकाश और शाहबाद से विधायक रामकरण काला के साथ भाजपा नेताओं द्वारा कथित दुव्यवहार का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं दर्शाती हैं कि भाजपा कार्यकर्ता, विशेष रूप से संघ से जुड़े लोग, खुद को कानून से ऊपर समझने लगे हैं।

लोकतंत्र और संविधान पर खतरे की चेतावनी

वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा की जनता से अपील की कि वे सोचें कि क्या राज्य में लोकतंत्र और संविधान की सुनियोजित हत्या नहीं की जा रही? क्या यह संघी फासीवाद के खतरनाक विस्तार का संकेत नहीं है?

मुख्यमंत्री से मांगा जवाब

उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री से भी सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करने की मांग की कि क्या भाजपा और संघ कार्यकर्ता वास्तव में कानून से ऊपर हैं? यदि नहीं, तो वे अधिकृत बैठकों में शामिल होकर जनप्रतिनिधियों का अपमान कैसे कर पा रहे हैं?

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