
गुरुग्राम, 7 जून: नगर निगम गुरुग्राम के चीफ इंजीनियर के निजी सहायक (पीए) मनोज यादव पर भ्रष्टाचार और अवैध तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप एक महिला शिकायतकर्ता द्वारा नगर निगम को भेजे गए एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से सामने आए हैं, जिसकी प्रति पर नगर निगम आयुक्त की 2 जून 2025 की मुहर भी मौजूद है।
इस प्रकरण को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज डावर ने चिंता व्यक्त की है और सरकार से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नगर निगम गुरुग्राम को दुधारू गाय की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जहां आए दिन भ्रष्टाचार के नए-नए मामले सामने आते हैं।
क्या हैं आरोप?
शिकायत पत्र के अनुसार:
- मनोज यादव पिछले 15 वर्षों से नगर निगम गुरुग्राम में कार्यरत हैं।
- उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी पत्नी के नाम पर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है।
- वर्ष 2024 में सेक्टर-14 हुड्डा क्षेत्र में लगभग 250 गज का मकान खरीदा, जिसकी कीमत लगभग 87 लाख रुपये बताई गई है और जिसमें 4.80 लाख रुपये की स्टांप ड्यूटी दी गई।
- इसके अतिरिक्त सेक्टर-46 सहित अन्य कई क्षेत्रों में भी फ्लैट्स और प्लॉट्स की जानकारी शिकायत में दर्ज है।
- महिला शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि मनोज यादव की पत्नी के नाम पर चल रहे खातों की जांच होनी चाहिए क्योंकि यह पैसा काली कमाई का हो सकता है।

पंकज डावर का बयान
पंकज डावर ने कहा कि, “एक अधिकारी का पीए यदि इतने कम समय में इतनी बड़ी संपत्ति अर्जित कर लेता है, तो यह स्पष्ट करता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं बड़ी खामी है। शिकायतकर्ता भले ही गुमनाम हो, लेकिन जो विवरण दिए गए हैं वे गम्भीर और जांच योग्य हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि नगर निगम गुरुग्राम में पहले भी कई बार भ्रष्टाचार के आरोपों में अधिकारी निलंबित हो चुके हैं, लेकिन इस बार अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने आशंका जताई कि मामले को दबाने की कोशिश हो रही है, और इसमें कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री से भी की गई शिकायत
डावर ने इस मामले को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और नगर निकाय मंत्री विपुल गोयल को भी भेजा है। उन्होंने मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो मनोज यादव और उनसे जुड़े अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
संभावित सवाल जो उठाए जा रहे हैं:
- एक पीए की हैसियत में 15 वर्षों में इतनी संपत्ति अर्जित करना क्या संभव है?
- क्या मनोज यादव की पत्नी का कोई व्यवसाय है? यदि हां, तो क्या वह संपत्ति उसी के माध्यम से अर्जित हुई?
- नगर निगम इस शिकायत को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा?
जनता की उम्मीदें:
इस तरह के मामलों से नगर निगम की साख और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। जनता चाहती है कि इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो, ताकि आने वाले समय में कोई भी सरकारी कर्मचारी जनधन का दुरुपयोग न कर सके।