बोले – दरों की जटिलता और आईटीसी में अड़चनें व्यापारी वर्ग के लिए बनी बड़ी चुनौती

सुरेश गोयल ‘धूप वाला’

हिसार, 16 जून। भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री व पूर्व पार्षद सुरेश गोयल ‘धूप वाला’ ने कहा है कि देशभर में लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली ने “एक देश, एक कर” की संकल्पना को साकार तो किया है, लेकिन इसके सात वर्षों के क्रियान्वयन के बाद भी इसमें कई व्यावहारिक समस्याएं आज भी सामने आ रही हैं, जिन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आगामी 20 जून को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक करने जा रही हैं, जिसे जीएसटी प्रणाली में संभावित सुधार की दिशा में एक निर्णायक पहल माना जा रहा है।

सात वर्षों बाद भी जटिल है कर संरचना
गोयल ने कहा कि समय-समय पर जीएसटी काउंसिल की बैठकों में संशोधन और दरों में बदलाव जरूर हुए हैं, लेकिन वर्तमान कर दर संरचना — 5%, 12%, 18% और 28% — अभी भी आम व्यापारी व उपभोक्ता के लिए उलझाऊ और कई बार तर्कहीन लगती है।
उन्होंने सुझाव दिया कि इन दरों को सिर्फ दो श्रेणियों — आवश्यक और सामान्य वस्तुएं — में सीमित करना चाहिए। 28% जैसी ऊंची दर केवल अत्यधिक विलासिता वस्तुओं पर ही सीमित होनी चाहिए।

आईटीसी रिफंड व लेखांकन प्रणाली में भी सरलीकरण की दरकार
भाजपा नेता ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की रिफंड प्रक्रिया को भी जटिल और देरीपूर्ण बताते हुए इसे सरल बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि छोटे व्यापारियों के लिए ऐसी प्रणाली बनाई जाए, जिसमें वे बिना अधिक पेशेवर मदद के अपना लेखा-जोखा स्वयं संभाल सकें।

व्यापारी वर्ग को है अब राहत की उम्मीद
सुरेश गोयल ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 में जहां आयकरदाताओं को कुछ राहत मिली है, वहीं अब व्यापारी वर्ग को जीएसटी में बड़े सुधारों की अपेक्षा है।
यदि सरकार इस दिशा में ठोस निर्णय लेती है, तो यह कदम देश के व्यापारिक परिवेश को सरल, पारदर्शी व उदार बनाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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