
गुरुग्राम, 17 जून। मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने पर देशभर में बीजेपी द्वारा चलाए जा रहे प्रचार अभियान को “कोरा झूठ और जमीनी हकीकत से कोसों दूर” बताते हुए गुरुग्राम के समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह ने सरकार की नीतियों और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जमीनी सच्चाई यह है कि देश सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा के मोर्चों पर पिछड़ता जा रहा है — और सरकार खुद को “विश्वगुरु” बताकर आत्ममुग्धता में डूबी हुई है।
महिला सुरक्षा ‘शून्य’, बढ़ते अपराध और मौन सरकार
गुरिंदरजीत सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में महिला सुरक्षा को लेकर सरकार की नाकामी जगजाहिर हो चुकी है। उन्होंने कहा – “देश में शायद ही कोई ऐसा राज्य बचा हो जहां महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध न हुए हों — हाथरस, उन्नाव, बंगाल, राजस्थान या असम — हर राज्य से शर्मनाक घटनाएं सामने आईं, लेकिन प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने कभी माफी तक नहीं मांगी। यहां तक कि राष्ट्रीय महिला आयोग भी पीड़ित महिलाओं के लिए गंभीर पहल नहीं कर पाया।”
युवा बेहाल: न नौकरी, न रोजगार, बस ऑनलाइन सट्टा
गुरिंदरजीत सिंह ने मोदी सरकार के उस वादे पर भी हमला बोला जिसमें हर साल दो करोड़ नौकरियों की बात कही गई थी।
उन्होंने कहा – “ना केंद्र सरकार ने नौकरियां दीं, ना राज्य सरकारों ने रोजगार का रास्ता खोला। बेरोजगार युवा आज ऑनलाइन गेमिंग और सट्टा बाजार की दलदल में धकेले जा रहे हैं। आईपीएल हो या कोई अन्य आयोजन — करोड़ों का काला धन सट्टे में बह रहा है, और सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है।”
बजता रहा “डंका”, गिरता रहा रुपया और पासपोर्ट रैंक
सरकार की कथित वैश्विक साख पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा –
“2014 में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत ₹58 थी, जो आज ₹88 तक पहुंच चुकी है। पासपोर्ट रैंकिंग की बात करें तो 2014 में भारत का पासपोर्ट विश्व में 76वें स्थान पर था, जो अब 2025 में फिसलकर 148वें स्थान पर पहुंच गया है। क्या यही है ‘विश्वगुरु’ बनने की दिशा?”
“जुमले और भाषण नहीं, गुणवत्तापूर्ण काम चाहिए”
गुरिंदरजीत सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और सांसद राव इंद्रजीत सिंह को सुझाव दिया कि वे भाषणों और नारों से बाहर निकलकर जमीनी सच्चाई को स्वीकारें और ठोस कार्य करें।
उन्होंने कहा –“महिला सुरक्षा के लिए कठोर कानून बनाए जाएं, हरियाणा के शहरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। युवाओं को रोजगार दिया जाए, ताकि वे ऑनलाइन गेमिंग और सट्टे जैसे विनाशकारी विकल्पों की ओर न जाएं। मुद्रा की गिरती स्थिति को नियंत्रित किया जाए और भारत की वैश्विक साख को वाकई ऊंचा किया जाए।”
निष्कर्ष
गुरिंदरजीत सिंह ने बीजेपी के “11 साल के रिपोर्ट कार्ड” को खोखले दावों और जुमलों का पुलिंदा करार देते हुए कहा कि अब जनता भाषण नहीं, गुणवत्ता से भरे काम और ज़मीनी बदलाव चाहती है।