“वादाखिलाफी पर मौन क्यों हैं पिता-पुत्री?” — वेदप्रकाश विद्रोही का भाजपा सरकार पर करारा हमला

गुरुग्राम/रेवाड़ी, 19 जून 2025 – भगवानपुर गांव में 200 बेड के सरकारी अस्पताल की मांग को लेकर ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना आज भी जारी रहा। इस धरने को समर्थन देने पहुंचे स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा सरकार की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव और उनके पिता, केंद्रीय मंत्री व सांसद राव इन्द्रजीत सिंह पर तीखा हमला बोला।
विद्रोही ने दो टूक सवाल पूछा: “क्या राव इन्द्रजीत सिंह ने भगवानपुर गांव की ग्राम पंचायत को सार्वजनिक रूप से यह आश्वासन नहीं दिया था कि यदि वे रेवाड़ी के वाटर टैंक के लिए 10 एकड़ जमीन सरकार को देंगे, तो उसी गांव में 200 बेड का अस्पताल बनेगा? अब जब जमीन सरकार को सौंप दी गई है, तो अपने वादे से पलटने का क्या औचित्य है?”
विद्रोही ने स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव पर निशाना साधते हुए कहा कि मापदंडों का हवाला देकर ग्रामीणों को भ्रमित करने की बजाय यह स्पष्ट करें कि क्या उनके पिता ने यह वादा किया था या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर केन्द्रीय मंत्री को अस्पताल के निर्माण से जुड़ी मापदंडों की जानकारी नहीं थी, तो फिर उन्होंने भगवानपुर की जनता को यह आश्वासन क्यों दिया?
“वादाखिलाफी या रणनीतिक छल?”

वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा: “पिछले 7-8 वर्षों से सरकार 200 बेड के अस्पताल के लिए मुफ्त जमीन पाने के प्रयास कर रही थी। लेकिन तब कभी किसी प्रकार के मापदंड या तकनीकी बाधाओं की बात सामने नहीं आई। अब जब भगवानपुर के लोगों ने विश्वास के साथ 10 एकड़ जमीन दे दी, तो वादा निभाने की बजाय जगह को बदलने की बात की जा रही है।”
“जनप्रतिनिधियों की चुप्पी शर्मनाक”
विद्रोही ने यह भी खुलासा किया कि भगवानपुर, रामगढ़, बुडाना, बुडानी और काकोडिया गांवों के प्रतिनिधि जब राव इन्द्रजीत सिंह के रामपुरा स्थित निवास पर उनसे मिलने पहुंचे, तो पिता-पुत्री दोनों के घर पर मौजूद होने के बावजूद वे बिना मिले दिल्ली रवाना हो गए।
उन्होंने सवाल किया: “क्या जनता से नजरें मिलाने का साहस नहीं बचा? जब लोग सड़कों पर और धरनों में बैठकर जवाब मांग रहे हैं, तब जनप्रतिनिधियों का यूँ चुप रहना क्या राजनीतिक अहंकार नहीं दर्शाता?”
“भगवानपुर के लिए नहीं समय, लेकिन बयानबाज़ी के लिए समय?”
वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि भगवानपुर के ग्रामीण आज भी 200 बेड के अस्पताल के लिए 8 एकड़ अतिरिक्त जमीन मुफ्त देने को तैयार हैं। इसके बावजूद सरकार और जनप्रतिनिधि चुप हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि जब स्वास्थ्य मंत्री खुद इस क्षेत्र से हैं, तो क्या उन्हें धरनास्थल पर जाकर लोगों की पीड़ा सुनने से कोई परहेज है?
“जनता अब ठगी नहीं सहने वाली”
विद्रोही ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर जवाबदेही से भागे, तो यह मामला केवल एक गांव का नहीं, बल्कि हरियाणा के ग्रामीण सम्मान और जनविश्वास का बन जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत संस्था इस संघर्ष में अंतिम सांस तक भगवानपुर के लोगों के साथ खड़ी रहेगी।