“डर से थोपे गए एकरूपता में नहीं, बल्कि विविधता में एकता में ही भारत की असली शक्ति है।”
गुरुग्राम, 20 जून : वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान, “एक समय आएगा जब अंग्रेज़ी बोलने वालों को शर्म आएगी”, पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह वक्तव्य भारत की बहुभाषीय, बहुसांस्कृतिक विरासत का अपमान है।
पर्ल चौधरी ने कहा, “भाषा सेतु है, दीवार नहीं। इसे राजनीतिक हथियार बनाना बंद कीजिए। भारत को भाषाई नहीं, आर्थिक दिशा की ज़रूरत है।”
उन्होंने स्मरण दिलाया कि भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है, क्योंकि इस देश ने अपने युवाओं की प्रतिभा, शिक्षा, वैज्ञानिक सोच, और संस्थागत निर्माण में निवेश किया — ना कि किसी एक भाषा को बाकी पर थोपकर।
नेहरू जी द्वारा स्थापित आईआईटी और इसरो ने भारत को वैज्ञानिक सोच दी, तो राजीव गांधी की तकनीकी क्रांति ने कंप्यूटर को जन-जन तक पहुँचाया। मनमोहन सिंह और पी. वी. नरसिम्हा राव की आर्थिक उदारीकरण नीतियों ने भारतीय युवाओं को वैश्विक मंचों तक पहुँचाया।
“आज गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोबी, वर्ल्ड बैंक जैसे वैश्विक संगठनों का नेतृत्व कर रहे भारतीय युवा कस्बों-गाँवों से निकले हैं। वे अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषाओं दोनों में निपुण हैं — और उन्हें सिर्फ अपनी भाषा पर नहीं, अपने हुनर पर गर्व है,” पर्ल चौधरी ने कहा।
उन्होंने सवाल उठाया कि: “क्या हमें ऐसा भारत नहीं चाहिए जहाँ हर भाषा में शिक्षा, रोज़गार और सम्मान हो? क्या हमें भाषाओं पर शर्म नहीं, बल्कि नवाचार, अनुसंधान और समावेशिता को बढ़ावा नहीं देना चाहिए?”
पर्ल चौधरी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को संदेश देते हुए कहा कि यदि भारत कौशल, अनुसंधान और उद्यमिता में निवेश करे, तो आने वाले समय में दुनिया भारत की भाषाएँ सीखेगी, जैसे कभी मेगस्थनीज़, फ़ा-हिएन, ह्वेनसांग और इब्नबतूता ज्ञान की तलाश में भारत आए थे।
“हम ऐसा भारत बनाना चाहते हैं जहाँ कोई भाषा, कोई बोली, किसी के सपनों की सीमा न बने। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उस भारत में विश्वास करती है जो अनेक स्वर में बोलता है, पर एकजुट खड़ा होता है,” उन्होंने कहा।