गीतामयी हुआ इंग्लैंड, गीतावाणी और शंखनाद के बीच निकाली गई शोभायात्रा
मैनचेस्टर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का हुआ समापन

चंडीगढ़। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता न केवल धर्म का उपदेश देती है, बल्कि दुनिया भर को जीवन जीने की कला भी सिखाती है। गीता के उपदेश पर चलकर न केवल हम स्वयं का बल्कि समाज का भी कल्याण कर सकते हैं। गीता मनीषी इंग्लैंड के मैनचेस्टर में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को प्रवचन कर रहे थे। मैनचेस्टर गीतामयी नजर आया। गीतावाणी और शंखनाद के बीच श्रीमद्भगवत गीता शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में मैनचेस्टर के साथ अन्य प्रांतों के लोगों ने हिस्सा लिया। शोभायात्रा में उमड़ी भीड़ को देखकर सहजता के अंदाजा लगाया जा सकता था कि अंग्रेजों का गीता के प्रति भक्ति भाव बढ़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्रवचन के दौरान गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता भारत का विचार है। इस विचार को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से ही कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा वैश्विक स्तर पर गीता को नई पहचान दिलाने को लेकर शुरू की गई मुहिम के तहत ही मैनचेस्टर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत विश्व में विचार के लिए जाना जाता है और पवित्र ग्रंथ गीता भारत का विचार है। इसे पवित्र धर्म ग्रंथ ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की आस्था और जीवन ग्रंथ भी माना जाता है। इसलिए मानवता को जिंदा रखने के लिए आज गीता के श्लोकों का मनन करना बहुत जरूरी है। वर्तमान समय की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर मनुष्य तुरंत रिजल्ट चाहता है, लेकिन इसके लिए वह प्रयास कम और उम्मीद ज्यादा करता है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के प्रवचनों से उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो गए और मैनचेस्टर के साथ लेस्टर, लंदन, लीवरपूल सहित कई क्षेत्रों से श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और गीता ज्ञान यज्ञ में आहुतियां डाली।
गीता को हर घर में पढ़ा जाना चाहिए : स्वामी ज्ञानानंद
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि गीता हमें कर्म करने का संदेश देती है, लेकिन कर्मों में लिप्त नहीं होने का भी आह्वान करती है। गीता का संदेश केवल एक धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समस्त मानवता के लिए है। गीता को हर घर में पढ़ा जाना चाहिए, सबसे पहले जीवन के महत्व को समझें। मनुष्य जीवन निश्चित और नि:संदेह दुर्लभ है। श्रीमद् भगवद् गीता पावन प्रेरित ग्रंथ है। यह केवल धार्मिक आस्था नहीं है, सत्य भी है। ईश्वर की दिव्य वाणी है। स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता जीवन जीने की प्रेरणा है, इसे निखारने की प्रेरणा है। जीवन में जीवन से कैसे अधिकतम लाभ ले पाएं और इस जीवनकाल में कैसे अधिकतम लाभ समाज को दे पाए, यह प्रेरणा गीता से मिलती है।