जनता अब विकल्प की तलाश में, हरियाणा में भी सत्ता विरोधी लहर की गूंज

गुरुग्राम / 23 जून 2025 देश के पांच विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव परिणामों ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि जनता अब भाजपा की नीतियों से संतुष्ट नहीं है और बदलाव चाहती है। हरियाणा में पहले से ही बिजली दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी, बेरोजगारी, कर्मचारियों की नाराजगी और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर सरकार घिरी हुई है। ऐसे में इन उपचुनाव परिणामों ने यहां की राजनीतिक फिजा में भी गर्मी ला दी है।

गुजरात में आम आदमी पार्टी की वापसी और पंजाब में उसकी पकड़ बरकरार गुजरात की विसावदर सीट से आप नेता गोपाल इटालिया की जीत और पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर संजय अरोड़ा की विजय ने यह दिखा दिया कि AAP अब केवल दिल्ली और पंजाब तक सीमित नहीं, बल्कि भाजपा के गढ़ों में भी पैठ बना रही है। हरियाणा के शहरी युवाओं और कर्मचारियों में भी आप के प्रति रुझान बढ़ रहा है।

केरल में कांग्रेस की वापसी से हरियाणा में पार्टी को संबल केरल की निलांबुर सीट से कांग्रेस की शानदार जीत ने पार्टी को नई जान दी है। हरियाणा में भी हाल ही में कुमारी सैलजा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला के नेतृत्व में विपक्षी तेवर तेज हुए हैं। कांग्रेस लगातार कर्मचारियों, किसानों और युवाओं की आवाज उठा रही है।

बंगाल में टीएमसी की बढ़त विपक्षी एकता की ताकत को दिखाती है कलिगंज सीट पर TMC की बड़ी जीत यह बताती है कि यदि विपक्ष संगठित हो, तो भाजपा को हराना संभव है। यह हरियाणा के विपक्षी दलों को भी संयुक्त मोर्चा बनाने की प्रेरणा देता है।

हरियाणा की जनता क्या सोच रही है?

सामाजिक कार्यकर्ता वेदप्रकाश विद्रोही का कहना है, “आज उपचुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया कि जनता झूठे वादों और खोखले नारों से ऊब चुकी है। अब काम चाहिए, जवाबदेही चाहिए। हरियाणा में भी बिजली, बेरोजगारी और ड्रग्स जैसे मुद्दे गंभीर चिंता का विषय हैं।”

गुरुग्राम निवासी और समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह कहते हैं, “भाजपा के विकास के दावों की पोल खुल चुकी है। गुरुग्राम को सिंगापुर बनाने के दावे सड़क और सीवर के गड्ढों में दब चुके हैं। उपचुनाव परिणाम जनता के जागरूक होने का संकेत हैं।”

क्या है राजनीतिक असर?

  • भाजपा के लिए आत्ममंथन का समय, खासकर हरियाणा जैसे राज्य में जहां ट्रिपल इंजन सरकार भी जनता को राहत नहीं दे पा रही।
  • AAP को हरियाणा में बढ़त का मौका, युवाओं और शहरी वोटरों में पैठ बनाने का अवसर।
  • कांग्रेस के लिए उत्साहजनक संकेत, यदि संगठन मजबूत किया गया तो 2026 के विधानसभा चुनाव में वापसी संभव।

निष्कर्ष: देशभर में विपक्षी ताकतों की मज़बूती और भाजपा को मिल रही चुनौतियाँ हरियाणा के लिए भी संदेश हैं। जनता अब वादों से नहीं, परिणामों से नेतृत्व को आंक रही है। आगामी नगरपालिका चुनावों और फिर 2026 के विधानसभा चुनावों में हरियाणा भी इसी बदलते राजनीतिक परिदृश्य का हिस्सा बन सकता है।

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