ऋषिप्रकाश कौशिक | भारत सारथि

गुरुग्राम, 24 जून 2025 – गुरुग्राम के सेक्टर-4 में ब्लू बेल्स स्कूल के समीप सड़क पर चल रही अवैध खुदाई ने एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आपसी खींचतान और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी है। 23 जून को शुरू हुई इस खुदाई को ऐसे समय में अंजाम दिया गया है, जब सरकार पहले ही 15 जून से प्रदेश में मानसून के आगमन की औपचारिक घोषणा कर चुकी है।

दो जनप्रतिनिधि, दो नारियल, और 80 लाख का दावा

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इसी सड़क की मरम्मत के लिए 14 जून को स्थानीय विधायक मुकेश शर्मा और वार्ड-33 की पार्षद सारिका भारद्वाज के पति प्रशांत भारद्वाज ने अलग-अलग समय पर, अलग-अलग समर्थकों के साथ नारियल फोड़कर इस कार्य का श्रेय लेने की होड़ मचा दी। दोनों ने 80 लाख रुपये की मरम्मत लागत को मंजूर कराने का दावा भी किया। सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं के राजनीतिक आका अलग-अलग हैं, जिसके चलते कार्य के क्रियान्वयन को लेकर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

सुरक्षा मानकों की खुली अवहेलना

मानसून में किसी भी प्रकार की खुदाई पर स्पष्ट सरकारी पाबंदी है, ताकि जलभराव, कीचड़ और दुर्घटनाओं से बचा जा सके। मगर इस स्थान पर न तो कोई बैरिकेडिंग की गई, न ही चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, और न ही मौके पर किसी अधिकृत अधिकारी या एजेंसी की पहचान संबंधी जानकारी उपलब्ध है। यह स्थिति आमजन और विशेषकर स्कूल आने-जाने वाले बच्चों व अभिभावकों के लिए एक गंभीर खतरा है।

भारतीय दंड संहिता की अवहेलना

भारतीय दंड संहिता की धारा 336 के अंतर्गत, किसी भी ऐसे कार्य को अंजाम देना जिससे जनसुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो, आपराधिक अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन गुरुग्राम में इस प्रकार की लापरवाहियों पर कोई प्रभावी कानूनी कार्रवाई होते नहीं देखी जाती, जिससे जनता में नाराजगी और अविश्वास का माहौल बनता जा रहा है।

मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के निर्देशों की अनदेखी

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव मानसून से पहले सभी सड़क मरम्मत कार्यों को समय पर पूर्ण करने के सख्त निर्देश दे चुके हैं। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मनमानी सरकारी दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से नजरअंदाज करती दिख रही है।

सवालों के घेरे में:

  • क्या यह खुदाई प्रशासन की स्वीकृति से हो रही है या जनप्रतिनिधियों की मनमर्जी से?
  • कार्यस्थल पर कोई जानकारी बोर्ड क्यों नहीं लगाया गया?
  • यदि दुर्घटना होती है, तो ज़िम्मेदार कौन होगा — विधायक, पार्षद, या संबंधित अधिकारी?

निष्कर्ष:

गुरुग्राम जैसे शहर में जब चुनावी वादे ‘इंदौर और सिंगापुर’ जैसी कल्पना दिखाते हैं, वहीं जमीनी हकीकत मानसून के बीच अवैध खुदाई और घटिया योजनाबद्धता की तस्वीर पेश करती है। अब देखना होगा कि जनता और विपक्ष इस जनविरोधी लापरवाही पर चुप रहते हैं या सड़क पर उतर कर जवाब मांगते हैं।

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