गुरिंदरजीत सिंह ने कहा – ‘दावों की निकली हवा, ग्रीवेंस कमेटी बनी पर्ची-परिवारवाद कमेटी’

गुरुग्राम, 1 जुलाई। हरियाणा सरकार द्वारा हाल ही में घोषित जिला ग्रीवेंस कमेटी की लिस्ट भाजपा के दावों की असलियत बयां कर रही है। गुरुग्राम के प्रसिद्ध समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने इस लिस्ट को लेकर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह लिस्ट भाजपा के भीतर गुटबाजी, परिवारवाद, पर्ची खर्ची और आंतरिक असंतोष का प्रमाण बन चुकी है।

उन्होंने कहा कि जो भाजपा कांग्रेस पर फूट और परिवारवाद के आरोप लगाती है, उसकी खुद की यह सूची आत्ममंथन करने वाली है।

“कांग्रेस को कोसने वाली भाजपा खुद टूटन से जूझ रही है”

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता ही सोशल मीडिया पर इस लिस्ट का विरोध कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं की अनदेखी, निष्कासित नेताओं की वापसी और पदाधिकारियों के रिश्तेदारों को कमेटी में शामिल किया जाना सवाल खड़े करता है। जो नेता भाजपा छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़े, वे आज फिर से कमेटी में जगह पा गए हैं — यह भाजपा अनुशासन का कौन-सा रूप है?

गुरुग्राम ग्रीवेंस कमेटी में परिवारवाद और चहेतों का बोलबाला

उन्होंने कहा कि कमेटी में उन्हीं लोगों को सदस्य बनाया गया है जो भाजपा नेताओं के करीबी हैं या रिश्तेदार हैं। कई ऐसे सदस्य हैं जिन्हें पार्टी पहले ही पदाधिकारी बना चुकी है, और अब कमेटी में भी स्थान देकर “एक पद एक व्यक्ति” के अपने ही सिद्धांत की धज्जियां उड़ा दी गई हैं।

समाजसेवियों को नहीं मिली कोई जगह

गुरिंदरजीत सिंह ने सवाल उठाया कि जिन लोगों ने वर्षों से सामाजिक कार्यों के जरिए जनता की समस्याओं को उठाया, उन्हें कमेटी में जगह नहीं दी गई। जो लोग जनता की शिकायतें लेकर प्रशासन के पास जाते हैं, जो बेबाक बोलते हैं — उन्हें सूची से बाहर रखा गया। “क्या यह जनता के साथ न्याय है?” उन्होंने कहा।

क्या ये सदस्य खुद की सरकार की आलोचना करेंगे?

गुरिंदरजीत सिंह ने पूछा —

  • क्या इन सदस्यों में से किसी ने गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाया?
  • क्या किसी ने जलभराव और सीवर ओवरफ्लो के मुद्दे पर शिकायत की?
  • क्या किसी ने गुरुग्राम विधायक को याद दिलाया कि उन्होंने 100 दिन में शहर साफ़ करने का वादा किया था?
  • क्या किसी ने ठेकेदारों की गुणवत्ता पर सवाल उठाया?

उत्तर है – नहीं।

गुरुग्राम से चुने गए विवादित नामों की लिस्ट में ये प्रमुख चेहरे शामिल हैं:

बलराम, उषा प्रियदर्शी, धर्मेंद्र बजाज, पीसी सैनी, शिवेश कटारिया, मोहन नफरिया, रणवीर सिंह यादव, गार्गी कक्कड़, सोनू सैनी, ब्रह्मनंद यादव, पंकज सचदेवा, आशीष गुप्ता, पवन यादव, जितेंद्र वर्मा, प्रियव्रत कटारिया, मुकेश शर्मा, सुरेंद्र गहलोत, मनीष गाडौली।
बादशाहपुर विधानसभा से:
कमल यादव, कृष्ण स्वामी, अमित, विजयंत कुमार, अर्जुन शर्मा, प्रवीण पाहुजा, शेर सिंह चौहान, सुखबीर सिंह, सुभाष बोकेन, हंसराज, अनिल सैनी, स्वर्ण राघव, दिनेश यादव, पुरुषोत्तम कौशिक, लोकेश कटारिया, डॉ. विशिखा, पूजा बलहारा, अरुण त्यागी, अनिल कुमार।

इनमें से कई नेताओं ने भाजपा छोड़कर चुनाव लड़ा, फिर भाजपा में लौटे और अब कमेटी में शामिल किए गए।

निष्कर्ष:

गुरिंदरजीत सिंह ने तीखे शब्दों में कहा, “ग्रीवेंस कमेटी वास्तव में ‘पार्टी ग्रेस कमेटी’ बन गई है — जिसमें न जनता की आवाज है, न समाज सेवा की भावना। यह सिर्फ सत्ता के चहेतों को नवाजने और जनता की आंखों में धूल झोंकने का एक बहाना है।”

Share via
Copy link