हर साल जुलाई के पहले शनिवार को होगा आयोजन, शतरंज को जल्द ही स्कूली पाठ्यक्रम में किया जाएगा शामिल

चंडीगढ़/ गुरुग्राम, 3 जुलाई 2025। भारत सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हरियाणा सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए घोषणा की है कि राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में हर वर्ष जुलाई माह के प्रथम शनिवार को “शतरंज दिवस” मनाया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य बच्चों में तार्किक सोच, स्मरण शक्ति और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

हरियाणा शतरंज एसोसिएशन (HCA) के प्रदेश महासचिव ब्रह्मचारी कुलदीप शतरंज ने बताया कि सरकार ने इस बाबत सभी जिला एवं खंड शिक्षा अधिकारियों, स्कूल प्राचार्यों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। शतरंज दिवस के आयोजन की जानकारी एसोसिएशन की वेबसाइट www.indianchess.org पर उपलब्ध है।

शिक्षा के साथ शतरंज का समावेश

आईएएस टीएल सत्यप्रकाश, आईपीएस अश्विन शैणवी, आईएएस गरिमा मित्तल, जज डॉ. परमिंदर कौर, सांसद कंगना रनौत व शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि शतरंज से विद्यार्थियों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, समस्या समाधान कौशल और अनुशासन में वृद्धि होती है।

जल्द बनेगा पाठ्यक्रम का हिस्सा

गुजरात, तमिलनाडु और गोवा की तर्ज पर हरियाणा सरकार भी शतरंज को जल्द ही स्कूली शिक्षा में एक विषय के रूप में शामिल करने जा रही है। इससे विद्यार्थियों को शतरंज की तकनीकी जानकारी के साथ प्रतिस्पर्धात्मक अवसर भी मिलेंगे।

अंतरराष्ट्रीय मान्यता और आयोजन

अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस हर साल 20 जुलाई को मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 1924 में पेरिस में फिडे (FIDE) की स्थापना से हुई थी। 1966 में यूनेस्को ने इस दिवस को मान्यता दी थी।

आयोजन की प्रमुख गतिविधियां होंगी:

  • शतरंज के नियम और रणनीतियों पर आधारित कार्यशालाएं
  • विद्यालय स्तरीय प्रतियोगिताएं
  • शतरंज व मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान
  • ग्रीष्मकालीन प्रोजेक्ट में गणितीय आकृतियों के शतरंज मॉडल बनाना

समग्र विकास की ओर एक कदम

यह पहल न केवल भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है, बल्कि विद्यार्थियों के बौद्धिक, मानसिक और नैतिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है। हरियाणा शतरंज एसोसिएशन के ‘स्वस्थ, उज्जवल, सुरक्षित शतरंज मिशन’ के तहत यह अभियान पूरे राज्य में क्रियान्वित किया जाएगा।

यह पहल एक राष्ट्र, एक नीति, एक लक्ष्य – समग्र शिक्षा की दिशा में ठोस कदम है।

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