— समाज, प्रशासन और अध्यात्म के त्रिवेणी व्यक्तित्व को भावभीनी श्रद्धांजलि

गुरुग्राम, 3 जुलाई 2025। गुरुग्राम ने एक युगपुरुष को खो दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी और समाजसेवी डॉ. योगेश कौशिक अब हमारे बीच नहीं रहे। 22 जून की रात्रि उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 72 वर्ष के थे। उनके निधन से समाज, प्रशासन, विधिक क्षेत्र, पत्रकारिता, और अध्यात्म — हर क्षेत्र में एक अपूरणीय रिक्तता उत्पन्न हो गई है।
डॉ. योगेश कौशिक का जीवन सेवा, सिद्धांत और समर्पण का जीवंत उदाहरण था। Ph.D., MBA, LL.B., HSAS जैसी उच्चतम योग्यताओं से सम्पन्न डॉ. कौशिक ने हरियाणा सरकार में मुख्य लेखा अधिकारी के रूप में लंबे समय तक सेवाएं दीं। वे अपने अनुशासन, पारदर्शिता और वित्तीय सुधारों के लिए आज भी याद किए जाते हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद समाज सेवा का संकल्प
सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह समाज सेवा को समर्पित कर दिया। विप्र फाउंडेशन, आदर्श ब्राह्मण सभा, नवजीवन शिक्षा परिषद, दादा सहज लाल सेवा समिति जैसी संस्थाओं में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और युवाओं के लिए प्रेरणा बने।
तीर्थ नहीं, आस्था और संकल्प की यात्रा
उनकी 39 बार अमरनाथ यात्रा करना, चारों धाम, बारह ज्योतिर्लिंगों और लगातार 51 बार कोकिलावन शनिधाम और महाकाल यात्रा जैसे संकल्पों ने उन्हें एक आस्थावान पथिक के रूप में प्रतिष्ठित किया। उनकी 40वीं अमरनाथ यात्रा की योजना इस वर्ष 10 जुलाई के लिए थी — टिकटें बुक थीं, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
विधिक और धार्मिक संस्थानों में समरस सेवा
डॉ. कौशिक ने गुरुग्राम न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में ख्याति अर्जित की। वे 50 से अधिक सामाजिक संस्थाओं, 6 गुरुद्वारा समितियों, 10 मंदिरों और एक मस्जिद में प्रशासक या रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में भी जुड़े रहे। उनका दृष्टिकोण सर्वधर्म समभाव का था — न जाति, न पंथ, न वर्ग — उनका धर्म था सेवा और सत्य।
पत्रकारिता के माध्यम से जनचेतना
‘ब्रह्म शक्ति’ नामक मासिक पत्रिका के मुख्य संपादक के रूप में उन्होंने वैचारिक एवं सांस्कृतिक संवाद को दिशा दी। उनके लेखन में भी उतना ही तेज और स्पष्टता थी, जितनी उनके विचारों में।
अंत में…
डॉ. योगेश कौशिक जी का अवसान केवल एक व्यक्ति का नहीं, एक युग की विदाई है। वे अपने पीछे सेवा, आस्था और नेतृत्व की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो पीढ़ियों तक प्रेरणा देती रहेगी।
ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को परम शांति और उनके परिजनों को यह असहनीय वियोग सहन करने की शक्ति प्रदान करें।