पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा, कुलपति डा. सोमनाथ सचदेवा ने स्वर्गीय गुलजारी लाल नंदा की जयंती को लेकर स्मारक पर अर्पित की श्रद्धांजलि, मंत्रौच्चारण के बीच हवन यज्ञ में डाली आहुती।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 4 जुलाई : हरियाणा के पूर्व शहरी स्थानीय निकाय राज्य मंत्री सुभाष सुधा ने कहा कि कुरुक्षेत्र के पौराणिक इतिहास को जिंदा रखने के लिए भारत रत्न स्वर्गीय गुलजारी लाल नंदा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। इस महान व्यक्तित्व ने कुरुक्षेत्र का विकास करना ही अपना लक्ष्य बनाया। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ही कुरुक्षेत्र और 48 कोस के तीर्थों का विकास करने के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना की थी। अब इस बोर्ड के माध्यम से प्रदेश सरकार 48 कोस के तीर्थों का जीर्णोद्धार कर रही है और इन तीर्थों के लिए कई करोड़ रुपए का बजट भी खर्च किया गया है।

पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व केडीबी द्वारा आयोजित भारत रत्न स्वर्गीय गुलजारी लाल नंदा जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इससे पहले पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा, केयू के कुलपति डा. सोमनाथ सचदेवा, स्वामी हरिओम परिवाजक,कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एसडीएम पकंज सेतिया, केडीबी मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, 48 कोस तीर्थ विकास समिति के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, केयू के कुलसचिव डा. विरेन्द्र पाल, समाजसेवी पवन आश्री, समाजसेवी विजय सभ्रवाल, समाजसेवी कृष्ण धमीजा, नंदा स्मारक की निदेशक प्रोफेसर शुचि स्मिता ने नंदा जी स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और हवन यज्ञ में मंत्रौच्चारण के बीच आहुति डाली। इसके उपरांत पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा,कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा सहित अन्य गणमान्य लोगों ने पौधा रोपण किया।

पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा की हमेशा प्राथमिकता रही कि कुरुक्षेत्र का विकास हो। नंदा जी ने 1968 और 1971 में कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ा और इस लोकसभा क्षेत्र की तस्वीर बदलने का काम किया। इसके लिए बकायदा केडीबी की स्थापना की। अब भाजपा सरकार ने वर्ष 2014 से कुरुक्षेत्र व 48 कोस के तीर्थों का विकास करने की योजना तैयार की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सिंह कुरुक्षेत्र को विश्व मानचित्र के पटल पर लाने के लिए कार्य कर रहे है। इस क्षेत्र में विकास की गति को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मसरोवर भारत रत्न स्वर्गीय गुलजारी लाल नंदा की देन है, प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों पर्यटक व श्रद्धालु शिरकत करते है।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डा. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि भारत रत्न स्वर्गीय गुलजारी लाल नंदा ने अपना जीवन समाज को समर्पित किया और कुरुक्षेत्र व 48 कोस के तीर्थों का विकास करने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नंदा जी ने एक आम जन साधारण की तरह कुरुक्षेत्र में कार सेवा जैसे कार्यों को शुरु करवाया। अब नंदा जी के जीवन से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिले और नंदा जी के जीवन पर शोध हो इसके लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय निरंतर कार्य कर रहा है।

केडीबी के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कहा कि 1967 में सोमवती अमावस्या के दिन भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा ने जब ब्रह्मसरोवर पर स्नान किया तो उसी ब्रह्मसरोवर के साथ-साथ आसपास के तीर्थों की तकदीर लिखी गई। नंदा जी ने तीर्थों का विकास करने के लिए केडीबी की स्थापना की। अब राज्य सरकार ने भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा के सपनों को साकार करने के लिए 48 कोस के सभी तीर्थों का विकास करने का प्रण लिया है और इस प्रण को पूरा करने के लिए तीर्थों का लगातार विकास किया जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार के प्रयासों से कुरुक्षेत्र के तीर्थों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा ने नगर वासियों को भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा की जयंती पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत रत्न नंदा जी ने अपने जीवन में पिछड़े, गरीब और दलित वर्ग के साथ-साथ समाज के जरूरतमंद लोगों के उत्थान के लिए कार्य किया। नंदा जी के प्रयासों से गीता स्थली कुरुक्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर एक मुकाम मिला।

समाज सेवी विजय सभ्रवाल ने भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा जी के साथ बिताए दिनों के अनुभवों को सांझा किया। नंदा स्मारक स्थल की निदेशक शुचि स्मिता ने मेहमानों का स्वागत और आभार व्यक्त किया। इस मौके पर केडीबी सदस्य डा. एमके मोदगिल, कैप्टन परमजीत, अशोक रोशा, डा. ऋषिपाल मथाना, विनोद गर्ग, सैनी समाज के प्रधान गुरनाम सैनी, डा.ऐसी नागपाल, पिछड़ा वर्ग के प्रदेशाध्यक्ष राम कुमार रम्बा, केसी रंगा, प्राचीन मुल्तान सभा के प्रधान प्रदीप झांब, डा. महा सिंह पुनिया सहित अन्य अधिकारी गण, कार्यकर्ता और गणमान्य लोग मौजूद थे।

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