क्षमा मांगना या देना भावनात्मक और मानसिक कल्याण का एक पहलू है जो सद्भाव और शांति स्थापित करने में मदद करता है
क्षमा दिवस मनाने से खुद को व दूसरों को क्षमा करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है,जिससे एक अधिक दयालू और सहानुभूतिपूर्ण दुनियाँ को बढ़ावा मिलता है
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक स्तर पर दुनिया के हर देश में 7 जुलाई 2025 को मनाया जाने वाला वैश्विक क्षमा दिवस विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमियों के लोगों में क्षमा की भावना को प्रोत्साहित करता है, और यह शांति तथा सुलह की दिशा में एक वैश्विक आंदोलन को प्रेरित करता है। क्षमा मांगना या देना न केवल भावनात्मक बल्कि मानसिक कल्याण का भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिससे रिश्तों में मधुरता आती है और समाज में सद्भावना का वातावरण बनता है।
भारतीय सभ्यता में क्षमा का महत्व
गोंदिया (महाराष्ट्र) से एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी का कहना है कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता, मर्यादा और आध्यात्मिक परंपरा में क्षमा एक अनमोल रत्न की तरह है। हमारे बुजुर्ग कहते हैं — जो माफ करता है, वही सबसे बड़ा दानी है, क्योंकि क्षमादान से बड़ा कोई दान नहीं। यह हमारी सभ्यता की वैचारिक शक्ति का प्रमाण है।
मैं (एडवोकेट किशन भावनानी) मानता हूं कि यदि हमसे कोई गलती हो जाए, तो उसे शांत चित्त से स्वीकार कर माफी मांगनी चाहिए। माफी से रिश्ते मजबूत होते हैं और मन में बैर की भावना समाप्त हो जाती है। क्षमा करने या माफी मांगने से यह स्पष्ट होता है कि हम अपने रिश्तों को किसी भी नकारात्मक भावना से ज्यादा महत्व देते हैं।
क्षमा का भावनात्मक और मानसिक पक्ष
वैश्विक क्षमा दिवस के अवसर पर हमें याद रखना चाहिए कि क्षमा द्वेष को समाप्त करने, घावों को भरने और समझ तथा मेल-मिलाप की संस्कृति को आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम है। क्षमा व्यक्ति को आंतरिक शांति, मानसिक सुकून और सामाजिक सम्मान दिलाती है।
शास्त्रों में कहा गया है — क्षमा वीरों का आभूषण है।
महाभारत में भी क्षमा को समर्थ का आभूषण और असमर्थ का गुण बताया गया है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में उल्लेख है — क्षमाशील को रोग और यमराज भी भयभीत नहीं कर सकते।
क्षमा मांगने की कला
यदि हमसे कोई भूल हो जाए तो सच्चे मन से क्षमा मांगना चाहिए। माफी मांगते समय बहानेबाजी न करें, बल्कि स्पष्टता और गंभीरता रखें। सबसे महत्वपूर्ण है —
- सामने वाले को पहले शांत करें
- दिल से गलती स्वीकार करें
- भविष्य में सुधार का भरोसा दें
माफी के तीन जादुई शब्द — “मुझे अफसोस है” — माफी को प्रभावशाली बनाते हैं और दिखाते हैं कि हम अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर रहे हैं। साथ ही यह आश्वस्त भी करें कि वही गलती दोबारा नहीं होगी।
क्षमा देने की शक्ति
कहा जाता है — कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता, क्षमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है।
जो पहले क्षमा मांगता है, वह सबसे बहादुर है और जो पहले क्षमा करता है, वह सबसे शक्तिशाली है। क्षमा करने वाला व्यक्ति सामाजिक और आत्मिक रूप से सबसे बड़ा होता है।
भावनाओं में बहकर समस्याओं को न बढ़ाएं
अक्सर पारिवारिक झगड़ों या व्यक्तिगत मतभेदों में भावनाओं का विस्फोट स्थिति को और बिगाड़ देता है। उदाहरण के लिए — पत्नी नाराज़ हो तो गुस्सा बेटे पर निकाले, बेटा अपने दोस्तों से झगड़े, और बात बढ़ती जाए। ऐसे हालात में अगर समय रहते कोई माफी मांगकर स्थिति संभाल ले, तो बड़ी समस्या को टाला जा सकता है।
माफी की व्यवहारिकता
कभी-कभी आंशिक गलती होने पर भी क्षमा मांगना बेहतर होता है। इससे कई जटिल समस्याओं का समाधान निकल सकता है, जो शब्दों से संभव नहीं। यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक मर्यादा और शिष्टाचार का भी हिस्सा है।
निष्कर्ष: क्षमा का महादान
“क्षमा दान महादान है, क्षमा के बराबर कोई दान नहीं।
गलती करना मानवीय विकार है, क्षमा करना ईश्वर का गुण है।
क्षमा खुशनसीब है, अहंकार बदनसीब।”
अतः यदि हम उपरोक्त बातों का विश्लेषण करें तो स्पष्ट होता है कि क्षमा मांगना या देना मानसिक और भावनात्मक कल्याण का अहम हिस्सा है, जो शांति और सुलह का मार्ग प्रशस्त करता है। 7 जुलाई 2025 को वैश्विक क्षमा दिवस हमें इसी भावना को अपनाने की प्रेरणा देता है, ताकि दुनिया और अधिक दयालु, सहानुभूतिपूर्ण तथा शांतिपूर्ण बन सके।
संकलनकर्ता, लेखक, स्तंभकार, साहित्यकार, अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक, कवि, संगीत माध्यमा सीए (ATC), एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीगोंदिया, महाराष्ट्र