
चंडीगढ़, 8 जुलाई। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 9 जुलाई 2025 को आयोजित होने वाली श्रमिकों की आम हड़ताल को ऐतिहासिक बनाने का आह्वान किया है। किसान सभा के उपाध्यक्ष सरबत सिंह पूनिया ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह हड़ताल सिर्फ श्रमिकों की नहीं, बल्कि मेहनतकश भारत की आवाज है, जिसे सुनना अब अनिवार्य हो गया है।
पूनिया ने कहा कि चार श्रम संहिताओं को रद्द करने, सभी फसलों के लिए C2+50% पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, ₹26,000 मासिक न्यूनतम वेतन, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर रोक, कैज़ुअल और ठेका रोजगार की समाप्ति तथा कृषि व ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक ऋण माफी जैसी मांगें सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि देश की आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय से भी जुड़ी हुई हैं।
सरकार की नीतियों पर सीधा प्रहार
संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार की ‘हायर एंड फायर’ आधारित श्रम नीतियों को युवा वर्ग के भविष्य के लिए खतरा बताया और कहा कि नए श्रम कानून नौजवानों को न तो सामाजिक सुरक्षा देंगे, न सेवानिवृत्ति लाभ। वहीं, 8 घंटे काम करने के अधिकार को भी खत्म करने का खतरा है।
किसानों के मुद्दे भी प्रमुख
किसानों की ओर से भी SKM ने मांग की है कि:
- सभी फसलों की C2+50% दर पर MSP की गारंटी दी जाए।
- किसानों को कर्ज से छुटकारा दिलाने के लिए व्यापक ऋण माफी योजना बने।
- मनरेगा में काम के दिन बढ़ाकर 200 किए जाएं और मजदूरी ₹600 प्रतिदिन की जाए।
- बिजली का निजीकरण और भूमि अधिग्रहण की अवैध प्रक्रियाएं रोकी जाएं।
मुक्त व्यापार समझौते पर विरोध
पूनिया ने चेताया कि अमेरिका के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं के लिए घातक है। इससे सब्सिडी प्राप्त विदेशी उत्पाद भारत में धड़ल्ले से आ सकेंगे और भारतीय किसान तबाह हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत की खाद्य सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा है।
किसान और श्रमिक संघर्ष की एकता का आह्वान
संयुक्त किसान मोर्चा ने तहसील स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है और सभी किसान-मजदूर संगठनों, ट्रेड यूनियनों, और सामाजिक संगठनों से 9 जुलाई की आम हड़ताल को ‘आज़ादी के बाद की सबसे बड़ी मजदूर-किसान एकजुटता’ में बदलने की अपील की है।