▪︎ कोर्ट में दस्तावेज पेश हुए या नहीं, सरकार को लिखा जाएगा पत्र

▪︎ एक्साइजर एग्रीमेंट के बाद जमीन मामलों में लापरवाही पर उठाए जाएंगे सवाल

▪︎ “बिना अधिकार जमीन बेचना अपराध है” — अनिल विज

▪︎ अंबाला नगर परिषद में बढ़ेगी सफाई कर्मियों की संख्या

चंडीगढ़, 8 जुलाई। हरियाणा के ऊर्जा परिवहन और श्रम मंत्री अनिल विज ने अंबाला छावनी में बर्फखाना जमीन मामले को लेकर बड़ा बयान देते हुए सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वर्ष 1977 के एक्साइजर एग्रीमेंट के बाद जितने भी कोर्ट केस इन जमीनों को लेकर हुए, उनमें यह जांच आवश्यक है कि क्या सरकारी कर्मियों ने अदालत में पैरवी करते समय उचित दस्तावेज प्रस्तुत किए या नहीं।

श्री विज ने कहा कि इस मामले को लेकर वे हरियाणा सरकार को पत्र लिख रहे हैं, ताकि जांच हो सके कि किन मामलों में दस्तावेजों की अनुपस्थिति से अदालती निर्णय प्रभावित हुए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही सामने आती है, तो उस पर निश्चित रूप से कार्रवाई होनी चाहिए।

बिना अधिकार जमीन बेचना अपराध: विज

मीडिया से बातचीत में अनिल विज ने साफ शब्दों में कहा कि जनरल लैंड रिकॉर्ड (GLR) के अनुसार बर्फखाना क्षेत्र की जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड से मिली थी और यह सरकारी जमीन है। ऐसे में इसे बेचना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने बताया कि वह पहले ही इस विषय पर सरकार को पत्र लिख चुके हैं और जांच की मांग कर चुके हैं।

श्री विज ने कहा कि यह सिर्फ अंबाला का मामला नहीं, बल्कि देश के 62 कैंटोनमेंट क्षेत्रों में यह स्थिति पाई जाती है, जहां अंग्रेजों के समय जमीनें केवल लीज पर दी जाती थीं। मालिकाना हक नहीं दिया जाता था।

अंबाला छावनी में सफाई व्यवस्था सुधारने के निर्देश

अंबाला की सफाई व्यवस्था पर भी ऊर्जा मंत्री ने बयान देते हुए कहा कि सफाई कर्मियों की कमी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने नगर परिषद ईओ को निर्देश दिए हैं कि सफाई कर्मियों की कमी को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजें, जिससे नई भर्तियों की प्रक्रिया को स्वीकृति मिल सके। उन्होंने पार्षदों से भी अपने-अपने वार्डों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने की अपील की।

पृष्ठभूमि: क्या है बर्फखाना जमीन विवाद?

बर्फखाना जमीन मूलतः अंबाला कैंटोनमेंट क्षेत्र की है, जिसे 5 फरवरी 1977 को अंबाला सदर नगर पालिका के अधीन कर दिया गया था। लेकिन जीएलआर में यह अब भी सरकारी भूमि के रूप में दर्ज है। ऐसे में इस जमीन की खरीद-फरोख्त पर विवाद खड़ा हो गया है।

निष्कर्ष:
अनिल विज का यह बयान न केवल अंबाला में चल रही जमीन विवादों को लेकर गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि राज्य सरकार की ओर से पूर्व में हुई लापरवाही की जांच की दिशा में भी एक बड़ा संकेत है। साथ ही यह अन्य छावनी क्षेत्रों में भी ऐसे मामलों पर पुनर्विचार की मांग को बल देता है।

Share via
Copy link