2200 बसों का संचालन ठप, 80% कर्मचारी हड़ताल पर रहे; केंद्र की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ फूटा गुस्सा

चंडीगढ़, 9 जुलाई। ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरबत सिंह पूनिया ने हरियाणा में हरियाणा रोडवेज कर्मचारी सांझा मोर्चा द्वारा की गई हड़ताल को “सफल और चेतावनी स्वरूप” करार देते हुए कहा कि सरकार को अब वादाखिलाफी बंद कर बातचीत से समाधान निकालना चाहिए।
वरिष्ठ नेता नरेंद्र दिनोद, सुमेर सिवाच, दिनेश हुड्डा, वीरेंद्र सिगरोहा, जगदीप धनखड़ और चमनलाल स्वामी ने संयुक्त प्रेस बयान में बताया कि प्रदेश में 80 प्रतिशत कर्मचारी हड़ताल पर रहे और लगभग 2200 बसों का संचालन पूरी तरह से ठप रहा।
हड़ताल की मुख्य मांगें

नेताओं ने केंद्र व राज्य सरकार से मांग की कि—
- चारों लेबर कोड रद्द किए जाएं, जो कर्मचारी हितों के विरुद्ध हैं।
- ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले तुरंत बंद हों।
- पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।
- एचकेआरएन (HKRN) के सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।
- जोखिम भत्ते की नीति लागू हो।
- ऑनलाइन तबादला नीति में संशोधन हो।
- खाली पड़े पदों पर नियमित भर्ती की जाए।
- रोडवेज विभाग में 362 रूटों पर दिए गए 3658 प्राइवेट परमिट रद्द किए जाएं और निजीकरण पर रोक लगे।
- 10,000 नई बसें शामिल की जाएं जिससे करीब 60 हजार युवाओं को रोजगार मिल सके।
वेतन और सेवा शर्तों पर भी मांगे
- चालकों का वेतनमान ₹53100,
- परिचालक व लिपिकों का वेतनमान ₹35400 किया जाए।
- ओवरटाइम व टीए की पुरानी पॉलिसी बहाल हो।
- 2016 में भर्ती चालकों व अन्य कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।
- 10 साल का बकाया बोनस तत्काल भुगतान किया जाए।
- सरकार के साथ पूर्व समझौतों को लागू किया जाए।
कड़ा संदेश सरकार को
सरबत सिंह पूनिया ने कहा, “सरकार को यह चेतावनी है कि अगर अब भी कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आंदोलन और व्यापक होगा। यह हड़ताल सिर्फ शुरुआत है।”
नेताओं ने सरकार से संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की, ताकि प्रदेश के परिवहन तंत्र और कर्मचारी वर्ग दोनों का हित सुरक्षित रहे।