22,675 मामलों में से 17,061 का हुआ निपटारा, ₹1.11 करोड़ की समझौता राशि
पंचकूला, 12 जुलाई: हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (HALSA) के निर्देशानुसार शनिवार को जिला न्यायालय, पंचकूला एवं उप-मंडल न्यायालय, कालका में राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया। आयोजन की निगरानी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-सह-सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) सुश्री अपर्णा भारद्वाज ने की।
इस अवसर पर सुश्री भारद्वाज ने बताया कि यह आयोजन HALSA के सदस्य सचिव श्री सूर्य प्रताप सिंह के निर्देशों और जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री वेद प्रकाश सिरोही के कुशल मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। लोक अदालत में 22,675 मामलों को सूचीबद्ध किया गया, जिनमें से 17,061 मामलों का निपटारा आपसी सहमति और समझौते के आधार पर किया गया। इस दौरान कुल ₹1,11,28,628 की समझौता राशि तय की गई।
अदालतों में गठित की गईं विशेष पीठें
लोक अदालत के सुचारू संचालन हेतु जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अनुमति से विशेष पीठों का गठन किया गया।
पंचकूला न्यायालय परिसर में जिन न्यायिक अधिकारियों ने पीठ की अध्यक्षता की, उनमें शामिल रहे:
- श्री बिक्रमजीत अरोड़ा, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश
- सुश्री रेखा, प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय
- सुश्री कीर्ति वशिष्ठ, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
- सुश्री ज्योति संधू, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
- सुश्री मनमीत कौर, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
- सुश्री अरुणिमा चौहान, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
कालका न्यायालय में पीठ की अध्यक्षता सुश्री रवनीत, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने की।
विवादों के सौहार्दपूर्ण निपटान पर जोर
लोक अदालत में धारा 138 एनआई एक्ट, वैवाहिक विवाद, एमएसीटी, सिविल एवं आपराधिक समझौता योग्य मामले, और मुकदमा-पूर्व प्रकरणों को प्राथमिकता से लिया गया। सभी मामलों में विवादों का निपटारा पारस्परिक सहमति से किया गया, जिससे वादियों को लंबी न्यायिक प्रक्रिया से राहत मिली।
न्यायिक सचिव ने की निगरानी
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अपर्णा भारद्वाज ने व्यक्तिगत रूप से सभी पीठों का दौरा कर कार्यवाही का जायजा लिया और न्याय सुनिश्चित करने के प्रयासों की निगरानी की। उन्होंने वादियों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों से संवाद कर प्रक्रिया को बेहतर बनाने के सुझाव भी प्राप्त किए।
सुलभ न्याय की दिशा में मजबूत कदम
सुश्री भारद्वाज ने कहा कि लोक अदालतें न केवल अदालतों पर बोझ कम करती हैं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 39(A) के तहत “सभी के लिए न्याय” की अवधारणा को भी साकार करती हैं।
अंत में, उन्होंने लोक अदालत की सफलता में योगदान देने वाले न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, न्यायालय कर्मियों और वादियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि DLSA भविष्य में भी इस प्रकार की जन-कल्याणकारी पहल जारी रखेगा।