वेदप्रकाश विद्रोही ने केंद्र सरकार और भाजपा-संघ पर लगाए गंभीर आरोप

चंडीगढ़/ रेवाड़ी, 16 जुलाई 2025 – आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा आयोजित कथित “जागरूकता प्रदर्शनी” पर सवाल उठाते हुए स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश ‘विद्रोही’ ने एक के बाद एक तीखे प्रश्न दागे। उन्होंने पूछा कि क्या आज मोदी-भाजपा-संघ के नेतृत्व में देश पिछले 11 वर्षों से अघोषित आपातकाल की गिरफ्त में नहीं है?

संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर प्रश्न
विद्रोही ने कहा कि आज देश की संवैधानिक संस्थाएं – चाहे वह न्यायपालिका हो, चुनाव आयोग हो या जाँच एजेंसियाँ – सभी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता संदेह के घेरे में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि न्यायालयों में राजनीतिक मामलों में फैसले संविधान व कानून की बजाय संघ की विचारधारा के अनुसार दिए जा रहे हैं।

चुनाव आयोग की भूमिका पर संदेह
उन्होंने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग निष्पक्षता से कार्य कर रहा है? क्या पिछले दस वर्षों में विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जनादेश का अपमान करते हुए सत्ता हथियाने के लिए राज्यपाल, केंद्रीय एजेंसियों और धनबल का दुरुपयोग नहीं किया?

जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग
विद्रोही ने कहा कि ईडी, सीबीआई और अन्य एजेंसियों का प्रयोग कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं को फंसाने के लिए किया जा रहा है। “क्या झूठे मुकदमे बनाकर विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास नहीं हो रहा?”, उन्होंने पूछा।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में
उन्होंने यह भी कहा कि आज के दौर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बुरी तरह कुचली जा रही है। भाजपा-संघ विरोधी विचारधारा रखने वाले लोगों की आवाजों को दबाया जा रहा है। “वर्तमान हालात 1975 के आपातकाल से भी अधिक खतरनाक हैं”, विद्रोही का दावा है।

मीडिया की भूमिका भी निशाने पर
विद्रोही ने मीडिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि मीडिया आज सत्ता से सवाल पूछने के बजाय विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर रहा है और भाजपा-संघ की चापलूसी कर रहा है। उन्होंने कहा कि मीडिया की निष्पक्षता लगभग समाप्त हो चुकी है।

‘लोकतंत्र प्रहरियों’ की सच्चाई पर सवाल
हरियाणा सरकार द्वारा ‘लोकतंत्र प्रहरी’ और ‘स्वतंत्रता सेनानी’ के नाम पर कुछ भाजपा-संघ कार्यकर्ताओं को दी जा रही पेंशन पर भी विद्रोही ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इनमें से 75 प्रतिशत से अधिक लोगों ने आपातकाल के दौरान एक से पाँच महीनों में माफीनामा देकर जेल छोड़ी थी। “इन माफीनामों के प्रमाण हरियाणा के जेल रिकॉर्ड में मौजूद हैं”, विद्रोही ने दावा किया। उन्होंने पूछा कि क्या ऐसे लोगों को लोकतंत्र रक्षक कहना वास्तविक स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान नहीं है?

“1975 घोषित था, आज का आपातकाल अघोषित और अधिक घातक है”
वेदप्रकाश विद्रोही ने अंत में कहा कि 1975 का आपातकाल घोषित था, लेकिन आज जो परिस्थितियाँ हैं, वह कहीं अधिक भयावह और व्यापक हैं। संविधान, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों का जिस तरह से हनन हो रहा है, वह किसी से छिपा नहीं है।

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