—बैठक में केवल औपचारिकताएं हुईं, जलभराव और करंट से मौतों पर कोई चर्चा नहीं; जनता में गहरी नाराज़गी

गुरुग्राम, 17 जुलाई – संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के अध्यक्ष एवं जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान चौधरी संतोख सिंह ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई जिला जनसम्पर्क एवं शिकायत निवारण समिति की बैठक को औपचारिकता करार देते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में गुरुग्राम की जनता से जुड़े गंभीर मुद्दों—विशेषकर जलभराव और बिजली के करंट से हुई मौतों—पर कोई चर्चा नहीं की गई, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि गुरुग्राम में हाल ही की बारिश के बाद भारी जलभराव हुआ, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। जलभराव और करंट लगने की घटनाओं में अब तक नौ नागरिकों और दो गोवंशों की मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक स्थानीय संकट नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता और संवेदनशीलता की कमी का प्रतीक है, जिससे सरकार की साख पर भी असर पड़ा है।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को इस बैठक में इन घटनाओं पर गंभीरता से चर्चा करनी चाहिए थी और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई का आश्वासन देना चाहिए था।” संतोख सिंह ने मांग की कि मुख्यमंत्री को मृतकों के परिजनों से मिलकर व्यक्तिगत संवेदना व्यक्त करनी चाहिए थी और उन्हें उचित मुआवज़ा भी दिया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री गुरुग्राम के जलभराव प्रभावित क्षेत्रों और हादसों की जगहों पर खुद जाकर स्थिति का जायज़ा लेते, तो यह प्रशासन की ज़िम्मेदारी और संवेदनशीलता को दर्शाता।
चौधरी संतोख सिंह ने जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल उठाए और कहा कि बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों और कष्ट निवारण समिति के सदस्यों द्वारा जलभराव और मौतों जैसे मुद्दों को मुख्यमंत्री के समक्ष न उठाना जनता के साथ अन्याय है। इससे आमजन में गहरी नाराज़गी है।
उन्होंने कहा कि गुरुग्राम की सबसे बड़ी समस्या आज जलभराव बन चुकी है और यदि सरकार इस पर ठोस रणनीति नहीं बनाती, तो भविष्य में हालात और बिगड़ सकते हैं।
विश्लेषण | क्या शिकायत निवारण समितियां महज़ औपचारिकता बनकर रह गई हैं?
बैठकों का उद्देश्य यदि जनता की समस्याओं को सुनना और उनका समाधान करना है, तो गुरुग्राम जैसी घटनाओं पर चुप्पी प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाती है। जलभराव और उससे हुई मौतें केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि योजनाहीन विकास और लचर व्यवस्था का परिणाम हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री और प्रशासन की चुप्पी जनता के विश्वास को गहरा आघात पहुंचा रही है।