
गुरुग्राम। हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंकज डावर ने राज्य सरकार द्वारा ग्रीवेंस कमेटी की बैठकों को प्रशासनिक अधिकारियों के स्तर पर कराने के फैसले को जनविरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय आमजन को न्याय से और अधिक दूर ले जाएगा, जबकि ग्रीवेंस कमेटी का गठन ही इसलिए किया गया था ताकि प्रशासनिक स्तर पर अनसुनी रह जाने वाली शिकायतों की उच्च स्तर पर सुनवाई हो सके।
पंकज डावर ने सवाल उठाया कि जब प्रशासनिक स्तर पर समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता तभी तो लोग ग्रीवेंस कमेटी का रुख करते हैं। ऐसे में यदि बैठकें सिर्फ अधिकारियों की मौजूदगी में होंगी, तो यह व्यवस्था औचित्यहीन हो जाएगी। उन्होंने कहा, “यह पूरी प्रक्रिया अधिकारियों के हवाले करके सरकार जिम्मेदारी से बचना चाह रही है। इससे न तो जनता की समस्याओं का समाधान होगा और न ही उन्हें समय पर न्याय मिल पाएगा।”
डावर ने यह भी कहा कि भले ही अब इन बैठकों में ‘वीआईपी इंतजार’ की परेशानी नहीं रहेगी, मगर जिन मामलों में मंत्री या मुख्यमंत्री की मौजूदगी से तत्काल फैसले होते थे, वे अब लटक सकते हैं। अधिकारियों के पास वैसे ही दर्जनों फाइलें लंबित रहती हैं और उनकी प्राथमिकता भी भिन्न होती है।
उन्होंने यह भी इंगित किया कि गुरुग्राम में कई महीनों बाद ग्रीवेंस कमेटी की बैठक हुई है, जो सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़ा करती है। अगर वास्तव में सरकार जनता की सुनवाई चाहती है, तो इन बैठकों को नियमित और मंत्री की अध्यक्षता में ही आयोजित किया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि सरकार अधिकारियों को निर्देश दे कि वे आम नागरिकों की समस्याओं का निस्तारण प्रतिदिन करें। चूंकि प्रशासनिक अधिकारी अब गांवों में रात्रि ठहराव भी कर रहे हैं, इसलिए जनता की समस्याओं को प्राथमिकता से निपटाया जाना चाहिए।
पंकज डावर ने दो टूक कहा, “लोग पहले ही अधिकारियों के चक्कर लगाकर थक चुके होते हैं। अगर ग्रीवेंस कमेटी भी उसी ढर्रे पर चलेगी, तो फिर जनता न्याय की उम्मीद किससे लगाए?”