हरियाणा में शिक्षकों के लिए अनिवार्य होगी शतरंज प्रतियोगिता, 20 जुलाई को सभी जिलों में होगा आयोजन –

— नई शिक्षा नीति के तहत खेल और शिक्षा का समावेश, शतरंज बनेगा स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा –

चंडीगढ़/हरियाणा, 18 जुलाई – हरियाणा सरकार ने भारत सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा जगत में एक ऐतिहासिक अनोखी क्रांतिकारी पहल करते हुए 20 जुलाई 2025 को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के अवसर पर प्रदेश के 22 जिलों में महिला और पुरुष शिक्षकों के लिए अलग-अलग जिला स्तरीय शतरंज प्रतियोगिताओं के आयोजन के दिशा निर्देश जारी किये हैं। इस प्रतियोगिता में प्रदेश के महिला पुरुष शिक्षकों की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

महाभारत के भीष्म पितामह शक्तिमान मुकेश खन्ना के नेतृत्व वाली हरियाणा शतरंज एसोसिएशन एचसीए के प्रदेश महासचिव ब्रह्मचारी कुलदीप शतरंज ने बताया कि राज्य सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, खंड शिक्षा अधिकारियों और स्कूल प्राचार्यों को इस आयोजन को सफल बनाने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भेजे हैं। प्रतियोगिता का आयोजन जिला स्तर पर होगा, जिसके लिए स्थल का निर्धारण प्रदेश के संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी करेंगे।

इस ऐतिहासिक निर्णय के तहत महिला और पुरुष अध्यापकों को शतरंज सीखने व खेलने के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि उनकी ध्यान शक्ति, स्मरण शक्ति और रणनीतिक सोच का विकास हो सके। यह कदम भारत सरकार की नई नेशनल शिक्षा नीति की उस सोच को दर्शाता है जो शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर मानसिक विकास व कौशल से जोड़ती है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों में रणनीतिक सोच, मानसिक अनुशासन और ध्यान-स्मरण शक्ति का विकास करना है। यह नई नेशनल शिक्षा नीति की उस सोच को मूर्त रूप देता है जिसमें विद्यार्थियों और शिक्षकों के समग्र बौद्धिक विकास को प्राथमिकता दी गई है।

जिला स्तर पर होगा आयोजन, पुरस्कार भी निर्धारित –

हरियाणा शतरंज एसोसिएशन एचसीए के प्रदेश महासचिव ब्रह्मचारी कुलदीप शतरंज ने बताया कि सरकार ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, खंड शिक्षा अधिकारियों और स्कूल प्राचार्यों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रतियोगिताएं 20 जुलाई को होंगी और इनका आयोजन स्थल संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी तय करेंगे।

विजेताओं को मिलेंगे नकद पुरस्कार –
महिला और पुरुष दोनों वर्गों में विजेताओं को नकद पुरस्कार दिए जाएंगे—

  • प्रथम पुरस्कार : ₹2000
  • द्वितीय पुरस्कार : ₹1500
  • तृतीय पुरस्कार : ₹1000
  • प्रत्येक वर्ग (महिला व पुरुष) में —
  • प्रथम पुरस्कार : ₹2000
  • द्वितीय पुरस्कार : ₹1500
  • तृतीय पुरस्कार : ₹1000
  • इनाम स्वरूप दिए जाएंगे

इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी व दिशा-निर्देश एचसीए की वेबसाइट www.IndianChess.org पर उपलब्ध हैं।

शिक्षकों के लिए अनिवार्य भागीदारी, प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी डीईओ पर –

इस प्रतियोगिता में राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की सहभागिता अनिवार्य मानी गई है। इसके सफल आयोजन, व्यापक प्रचार-प्रसार और 25 जुलाई 2025 तक रिपोर्ट व फ़ोटो भेजने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारियों को दी गई है।

राज्य सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस कार्यक्रम का विस्तृत प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें और अपने जिले के सभी शिक्षकों की अधिकतम सहभागिता कराएं। प्रतियोगिता से संबंधित सारी रिपोर्ट व तस्वीरें 25 जुलाई 2025 तक हरियाणा सरकार को भेजनी आवश्यक होंगी।

प्रशासनिक व राजनीतिक हस्तियों ने की पहल की सराहना –

हरियाणा सरकार की इस पहल को केंद्रीय व राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधि नेताओ ने सराहा है।

  • टीएल सत्यप्रकाश (आईएएस), आयुक्त परिवहन मंत्रालय
  • अश्विन शैणवी (आईपीएस), सीबीआई भारत सरकार
  • डॉ. गरिमा मित्तल (आईएएस), वित्त मंत्रालय भारत सरकार
  • डॉ. परमिंदर कौर, अतिरिक्त जिला सैशन जज – एडीजे हिसार
  • कंगना रनौत, लोकसभा सांसद व अभिनेत्री
  • महिपाल ढांडा, शिक्षा मंत्री, हरियाणा सरकार

इन सभी ने इस फैसले को शिक्षा और मानसिक विकास की दिशा में सराहनीय कदम बताया है। सभी ने इसे नई शिक्षा नीति के अनुरूप एक दूरदर्शी और क्रांतिकारी कदम बताया।

शतरंज से ध्यान शक्ति व स्मरण मैमोरी शक्ति विकसित होती है –

पेरिस इंटरनेशनल ओलम्पिक से शतरंज एशिया महाद्वीप के महासचिव ब्रह्मचारी कुलदीप शतरंज ने बताया कि शतरंज महाभारत के पुरात्व समय का शह-मात का युद्ध हैं। शतरंज का उदय भारत देश मे ही हुआ है। भारतीय खेल शतरंज खेलना पढाई के साथ बच्चों के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक है ताकि बच्चे बड़ी समस्याओं को समझ सके और अपने जीवन मे उसका समाधान खोज सके। शतरंज में प्रदेश के खिलाडी राष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त कर देश प्रदेश का नाम रोशन कर रहे है। शतरंज से ध्यान शक्ति व स्मरण मैमोरी शक्ति विकसित होती है। भारत सरकार की नई नेशनल शिक्षा नीति के तहत प्रदेश मे निशुल्क शतरंज प्रशिक्षण को लेकर विस्तार से जानकारी दी। शतरंज में सुनहरा भविष्य है। गोवा, गुजरात व तमिलनाडू की तरह शतरंज को स्कूल व कॉलेज स्तर पर विषय के रूप में शामिल करने पर बल दिया। शतरंज से जहां एक ओर खिलाडी के व्यक्तित्व का विकास होता है वहीं दूसरी ओर उसका मानसिक विकास भी होता है।

महाभारत के भीष्म पितामह शक्तिमान मुकेश खन्ना के नेतृत्व वाली भारत सरकार से एकमात्र आयकर छुट प्राप्त तथा भारतीय ओलम्पिक संघ आईओए से मान्यता प्राप्त हरियाणा शतरंज एसोसिएशन एचसीए के स्वस्थ, उज्जवल, सुरक्षित शतरंज मिशन के तहत अन्तरराष्ट्रीय दिवस दिवस के सम्मान मे हरियाणा प्रदेश के समस्त सरकारी विद्यालयों में प्रतिवर्ष 20 जुलाई 2025 को ‘‘विश्व शतरंज दिवस‘‘ के रूप में शानदार आयोजन किया जाएगा।

शतरंज को जल्द पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा –

हरियाणा शतरंज एसोसिएशन के अनुसार जल्द ही शतरंज को स्कूली पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा, जैसा कि गोवा, गुजरात और तमिलनाडु में पहले से किया जा चुका है। शतरंज विद्यार्थियों की तार्किक क्षमता, विश्लेषणात्मक सोच और निर्णय लेने की शक्ति को बढ़ाता है।

हरियाणा सरकार की योजना है कि शतरंज को जल्द ही स्कूली पाठ्यक्रम में विषय के रूप में शामिल किया जाए, जैसा कि गुजरात, तमिलनाडु और गोवा में पहले ही किया जा चुका है। इससे न केवल विद्यार्थियों में नवाचार और तार्किक सोच विकसित होगी, बल्कि शतरंज खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने का अवसर भी मिलेगा।

अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस का ऐतिहासिक महत्व –

20 जुलाई 1924 को पेरिस में अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ की स्थापना हुई थी। यूनेस्को ने 1966 में इस तिथि को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया था। तब से यह दिन विश्व स्तर पर बौद्धिक खेल के सम्मान में मनाया जाता है।

हर वर्ष 20 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाया जाता है। यह दिन 1924 में पेरिस में स्थापित अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ की स्मृति में मनाया जाता है। यूनेस्को ने 1966 में इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दी थी।

विद्यालयों में होंगे विशेष कार्यक्रम –

हरियाणा सरकार के अनुसार इस दिन- शतरंज दिवस पर सरकारी विद्यालयों में –

  • कक्षा स्तर की शतरंज प्रतियोगिताएं –
  • शतरंज की रणनीतियों पर कार्यशालाएं –
  • विद्यार्थियों और अभिभावकों को मानसिक लाभ के प्रति जागरूकता –
  • ग्रीष्मकालीन अवकाश में गत्ते व गणितीय आकृतियों से मॉडल बनाना
  • जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी –
  • ग्रीष्मावकाश के दौरान शतरंज से संबंधित प्रोजेक्ट मॉडल
  • जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी –

निष्कर्ष:

हरियाणा सरकार की यह पहल न सिर्फ शिक्षकों की बौद्धिक क्षमताओं को निखारेगी, बल्कि विद्यार्थियों में भी नवाचार, अनुशासन और मानसिक शक्ति को बढ़ावा देगी। यह कदम भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को धरातल पर उतारने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।

हरियाणा सरकार की यह पहल सिर्फ एक खेल को बढ़ावा नहीं दे रही, बल्कि शिक्षा को मानसिक विकास और रणनीतिक चिंतन से जोड़ रही है। आने वाले समय में शतरंज राज्य के हर शिक्षक और छात्र के लिए ज्ञान, अनुशासन और आत्मविकास का माध्यम बनेगा।

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