गुरुग्राम की बदहाल स्वच्छता व्यवस्था: स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग केवल आंकड़ों की बाजीगरी
गुरुग्राम में चारों ओर कूड़े के ढेर, टूटी सड़कें, गलियों मैं बहता सीवर का पानी और बारिश के बाद जलभराव की स्थिति स्वच्छता सर्वेक्षण के दावों की पोल खोल रही है।

गुरुग्राम, 25 जुलाई 2025: संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के अध्यक्ष एवं जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान चौधरी संतोख सिंह ने गुरुग्राम की बदहाल स्वच्छता व्यवस्था और स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 की रैंकिंग को केवल आंकड़ों की बाजीगरी बताया है। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम, जो हरियाणा सरकार को सबसे अधिक राजस्व देता है, वहां के निवासी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शहर में चारों ओर कूड़े के ढेर, टूटी सड़कें, गलियों में बहता सीवर का पानी और बारिश के बाद जलभराव की स्थिति स्वच्छता सर्वेक्षण के दावों की पोल खोल रही है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में गुरुग्राम को 41वीं रैंक मिलने का दावा किया जा रहा है, जिसमें 99 पायदान की छलांग की बात कही गई है। लेकिन वास्तव में, सरकार ने शहरों को पांच जनसंख्या-आधारित श्रेणियों में बांटकर आंकड़ों की बाजीगरी की है, जिससे जनता को गुमराह किया गया है।
उन्होंने बताया स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में गुरुग्राम की रैंकिंग को लेकर किया जा रहा “सुधार” का दावा भ्रामक साबित हो रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस वर्ष कुल 4,589 शहरी स्थानीय निकायों को शामिल किया गया था, जिन्हें जनसंख्या के आधार पर पाँच श्रेणियों में बाँटा गया – बहुत छोटे शहर (20,000 से कम), छोटे शहर (20,000-50,000), मध्यम शहर (50,000-3 लाख), बड़े शहर (3-10 लाख), और मिलियन-प्लस शहर (10 लाख से अधिक)।
गौरतलब है कि गुरुग्राम को इस बार “बड़े शहरों” (3-10 लाख आबादी) की श्रेणी में रखा गया, जिसमें देशभर के कुल सौ से भी कम शहर शामिल थे। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार प्रतिस्पर्धा सीमित थी, बावजूद इसके गुरुग्राम कई पायदान नीचे खिसक गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि श्रेणी बदलने और प्रतियोगी शहरों की संख्या घटने के बावजूद गुरुग्राम की रैंकिंग में गिरावट इस ओर संकेत करती है कि नगर निगम और प्रशासन के दावों के विपरीत, ज़मीनी हकीकत में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है।।
चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान केवल पोस्टरों और विज्ञापनों तक सीमित रह गया है। हकीकत यह है कि गुरुग्राम की गलियों, मोहल्लों, कॉलोनियों, सेक्टरों और गांवों में कूड़े के ढेर, सीवर का बहता पानी, गड्ढों से भरी सड़कें और जलभराव की स्थिति आम है। यह स्थिति न केवल नागरिकों के लिए परेशानी का कारण है, बल्कि स्वच्छता सर्वेक्षण के दावों पर गंभीर सवाल उठाती है। उन्होंने सरकार और नगर निगम से मांग की है कि स्वच्छता व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और जनता को गुमराह करने वाली रैंकिंग की बाजीगरी बंद की जाए।