प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से अविलंब हस्तक्षेप की मांग की, डर के साए में जी रहे हैं लोग

गुरुग्राम, 26 जुलाई 2025: सीपीएम पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज गुरुग्राम की बंगाली कॉलोनियों का दौरा कर प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम पुलिस गृह मंत्रालय के निर्देशों की आड़ में मुस्लिम बंगाली समुदाय के लोगों को टारगेट कर रही है, उन्हें डिटेन किया जा रहा है और मानवीय अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल में सीपीएम की उषा सरोहा, ईश्वर नास्तिक, दिनेश रंगा के साथ दिल्ली बंगाली मंच से एविक दा, इकरामुल, सिराजुल और सोनिया मुखर्जी शामिल थे। उन्होंने मौके पर पहुंचकर कई पीड़ित परिवारों से बातचीत की और उनकी व्यथा सुनी।

प्रवासी मजदूरों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि पुलिस विशेषकर पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों के लोगों को निशाना बना रही है। उन्हें पुलिस चौकियों में ले जाकर कई दिनों तक होल्डिंग सेंटरों में रखा जाता है और पूछताछ के नाम पर टॉर्चर किया जाता है। लोगों का कहना है कि पुलिस उन्हें “बांग्लादेशी” कहकर गालियां देती है और मारपीट भी करती है।
एक बस्ती के निवासियों ने बताया कि हाल ही में दोपहर के समय पुलिस अचानक पहुंची और घरों में मौजूद लोगों को बिना किसी सूचना के गाड़ियों में बैठाकर ले गई। महिलाओं के विरोध के बावजूद उन्हें भी पीछे धकेल दिया गया। यहां तक कि एक 12 साल के स्कूली बच्चे को भी पकड़कर ले जाया गया, जिसे बाद में बस्ती के लोगों के हस्तक्षेप से छोड़ा गया।

प्रवासी लोगों ने बताया कि वे अब डर के माहौल में जीने को मजबूर हैं और बड़ी संख्या में लोग बंगाल व असम की ओर पलायन कर गए हैं। समुदाय विशेष को निशाना बनाए जाने की बात सामने आ रही है, साथ ही कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा पैसों के बदले छोड़ा भी जा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से मांग की कि गुरुग्राम में लगभग 5 लाख बंगाली प्रवासी रहते हैं, जो ईमानदारी से मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं। ऐसे लोगों को डिटेन कर उनका उत्पीड़न करना निंदनीय है। प्रतिनिधिमंडल ने सुझाव दिया कि पुलिस द्वारा की जा रही मनमानी कार्रवाई के बजाय प्रशासन को जगह-जगह कैंप लगाकर इन लोगों का वैरिफिकेशन करना चाहिए और प्रमाण पत्र जारी किए जाने चाहिए ताकि उन्हें बार-बार परेशान न किया जाए।