कालसर्प दोष निवारण के लिए नागपंचमी सर्वोत्तम अवसर, मंगलवार को मिलेगा विशेष फल

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताए कालसर्प दोष से मुक्ति के सरल उपाय

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक संगठन सचिव षडदर्शन साधुसमाज गोविंदा आश्रम पिहोवा

कुरुक्षेत्र, 28 जुलाई (संजीव कुमारी): नागपंचमी का पर्व इस बार 29 जुलाई, मंगलवार को मनाया जा रहा है। षडदर्शन साधुसमाज के संगठन सचिव वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक के अनुसार, यह पर्व विशेष रूप से उन जातकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिनकी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष विद्यमान है।

पं. कौशिक ने बताया कि जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित होते हैं, तो इसे कालसर्प दोष कहा जाता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह, आर्थिक बाधाएं और संतान संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। उन्होंने कहा कि शिवभक्तों को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भगवान शिव की आराधना से यह दोष शांत किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष निवारण हेतु एक विशेष विधि का पालन करना चाहिए। इसके अंतर्गत चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा बनवाकर उस पर सोने का पानी चढ़वाएं, साथ में निम्न वस्तुएं अर्पित करें:

  • सवा किलो चने की दाल
  • सवा मीटर पीला कपड़ा
  • दो जनेऊ
  • केसर
  • पांच प्रकार के फल व मेवे
  • पंचामृत
  • गाय का कच्चा दूध
  • पीले फूलों की माला
  • 27 बूंदी के लड्डू

इन सभी सामग्रियों को शिवलिंग पर अर्पित करने से दोष का प्रभाव कम होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। पं. कौशिक ने यह भी स्पष्ट किया कि कालसर्प दोष का कोई ऐसा स्थायी समाधान नहीं है जो एक बार करने पर जीवन भर असर करे। अतः जातकों को हर वर्ष नागपंचमी या महाशिवरात्रि पर इस दोष की शांति हेतु भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।

इस उपाय से पितृ प्रसन्न होते हैं, कुंडली के निष्क्रिय ग्रह सक्रिय होते हैं, धन-धान्य की वृद्धि होती है और पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है।

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