विवाद और जनदबाव के बीच सरकार ने लिया फैसला, पीड़िता ने उठाए थे गंभीर सवाल

चंडीगढ़, 28 जुलाई — हरियाणा सरकार ने भाजपा नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला की सहायक अधिवक्ता जनरल (AAG) के रूप में हाल ही में की गई नियुक्ति को सिर्फ़ 10 दिन में रद्द कर दिया है। सरकार के इस निर्णय को जनदबाव, विपक्षी हमलों और नैतिक मूल्यों की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है।

विकास बराला की नियुक्ति 18 जुलाई को हुई थी, लेकिन जैसे ही यह जानकारी सार्वजनिक हुई, सोशल मीडिया से लेकर न्यायिक हलकों और नागरिक समाज तक से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि विकास बराला 2017 में एक हाई-प्रोफाइल छेड़खानी और पीछा करने के मामले में आरोपी हैं, जिसकी सुनवाई अब भी अदालत में चल रही है।

पीड़िता का तीखा विरोध

इस मामले में पीड़िता, पूर्व आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू ने सरकार की नियुक्ति नीति पर सवाल खड़े करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि, “क्या यही है हरियाणा सरकार की महिला सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता?” वर्णिका ने यह भी कहा कि यदि आरोपी ऐसे संवैधानिक पदों पर बैठेंगे तो महिलाओं का भरोसा खत्म हो जाएगा।

प्रशासनिक और सामाजिक दबाव

इस नियुक्ति पर 45 से अधिक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसे रद्द करने की मांग की थी। साथ ही कई महिला संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे “कानून और नैतिकता के खिलाफ” बताया।

सरकार की सफाई और निर्णय

सरकारी सूत्रों का कहना है कि विकास बराला ने नियुक्ति के बाद पदभार ग्रहण नहीं किया था, न ही एएजी कार्यालय में उन्होंने कोई फाइल संभाली। इसी आधार पर उनका नाम कानून अधिकारियों की सूची से हटा दिया गया है। यह जानकारी हरियाणा सरकार के अधिवक्ता विभाग की ओर से भी पुष्टि की गई है।

विपक्ष का हमला

विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस मामले में सरकार को घेरा। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि, “हरियाणा सरकार महिला सुरक्षा के मसले पर सिर्फ बातें करती है, असल में वह अपराध के आरोपियों को संरक्षण देती है।” आम आदमी पार्टी ने इसे “न्याय के साथ धोखा” बताया।

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