
चंडीगढ़/रेवाड़ी, 30 जुलाई 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा की उच्च और स्कूली शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रदेश के 184 सरकारी कॉलेजों में से दो-तिहाई कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल नियुक्त नहीं हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।
विद्रोही ने कहा, “जब कॉलेजों में स्थाई प्रिंसिपल ही नहीं होंगे, तो वहां अनुशासन और गुणवत्ता की उम्मीद करना व्यर्थ है।” उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार योग्य प्रोफेसरों को प्रमोट कर प्रिंसिपल क्यों नहीं बना रही? क्या कॉलेज प्राध्यापकों की पदोन्नति में कोई राजनीतिक या प्रशासनिक बाधा है?
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों को “रामभरोसे” छोड़ रखा है। न सिर्फ प्रिंसिपलों के पद खाली हैं, बल्कि कॉलेजों में 40 प्रतिशत से अधिक प्राध्यापक पद भी रिक्त पड़े हैं। ऐसी स्थिति में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिल सकती है?
स्कूलों और विश्वविद्यालयों की स्थिति भी चिंताजनक
विद्रोही ने प्रदेश के स्कूलों की ओर भी ध्यान खींचा। उन्होंने बताया कि पहली से 12वीं कक्षा तक विभिन्न विषयों के लगभग 70,000 शिक्षक पद रिक्त हैं। वहीं करीब एक-तिहाई सरकारी कॉलेजों के पास भवन ही नहीं हैं, और जहाँ हैं भी, वे जर्जर स्थिति में हैं।
प्रदेश के विश्वविद्यालयों की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। विद्रोही ने बताया कि “सरकारी विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत से अधिक शिक्षकों और स्पोर्टिंग स्टाफ के पद खाली पड़े हैं। भाजपा शासन में विश्वविद्यालयों का विकास रुक गया है और बजट की कमी के कारण शिक्षा ढांचा कमजोर होता जा रहा है।”
निजी शिक्षा की ओर झुकाव, सरकारी शिक्षा की गिरती साख
उन्होंने कहा कि इन हालातों के कारण प्रदेश के अभिभावक अपने बच्चों को निजी शिक्षण संस्थानों में भेजने को मजबूर हो रहे हैं। यह प्रवृत्ति सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर जनता के घटते विश्वास को दर्शाती है।
‘शिक्षा का गिरता स्तर प्रदेश के भविष्य के लिए खतरा’
वेदप्रकाश विद्रोही ने चेताया कि यदि जल्द ही शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह प्रदेश के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि खाली पदों को शीघ्र भरने, आधारभूत ढांचे को मजबूत करने और शिक्षा बजट में बढ़ोतरी के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।