जींद, 30 जुलाई। हरियाणा के जींद जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार गिरती जा रही है, लेकिन न सरकार के कानों पर जूं रेंग रही है और न ही विपक्ष या मीडिया इसे मुद्दा बना रहा है। हाल ही में मुवाना गांव निवासी डॉक्टर विकास शर्मा की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना अकेली नहीं है — स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बीते एक महीने में जींद जिले में लगभग 18 लोगों की हत्या अलग-अलग वारदातों में की जा चुकी है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सफीदों तहसील में एक भी निजी अस्पताल नहीं चल रहा, क्योंकि डॉक्टरों और अस्पताल संचालकों को आए दिन फिरौती और धमकियों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर विकास शर्मा ने भी सफीदों में एक निजी चिकित्सालय शुरू किया था, लेकिन अपराधियों की गोली का शिकार बन गए।

इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को दहला दिया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या हरियाणा में कानून नाम की कोई चीज बची है? क्या मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के संज्ञान में यह हालात नहीं हैं?

हरियाणा सरकार खुद को “पारदर्शिता” और “सुशासन” का मॉडल बताती है, लेकिन जमीनी हकीकत तो बिहार के बदनाम गुंडा राज की याद दिला रही है — जहां अपराधी और सत्ता की सांठगांठ का बोलबाला होता था।

क्या सरकारी विज्ञापन महज़ प्रचार का झूठा आवरण हैं?
क्या जनता की जान की कोई कीमत नहीं बची है?
क्या विपक्ष का मौन इस तंत्र का मौन समर्थन है?

जनता को जवाब चाहिए।

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