· सरकार कर्मचारियों को UPS, NPS नहीं, OPS दे – दीपेन्द्र हुड्डा
· UPS तो सरकारी कर्मचारियों के साथ NPS से भी बड़ा धोखा है – दीपेन्द्र हुड्डा
· कर्मचारियों से OPS छीनकर बीजेपी सरकार ने उनकी सामाजिक सुरक्षा को ही छीन रही– दीपेन्द्र हुड्डा
· UPS कभी कर्मचारियों की मांग नहीं रही, पहले NPS और अब UPS को जबरदस्ती थोपा जा रहा – दीपेन्द्र हुड्डा
· UPS में अर्धसैनिक बलों के जो जवान 25 साल की सर्विस से पहले VRS लेंगे उन्हें भारी नुकसान उठाना होगा – दीपेन्द्र हुड्डा
चंडीगढ़, 31 जुलाई। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि UPS और NPS कर्मचारी विरोधी स्कीम है और UPS तो सरकारी कर्मचारियों के साथ NPS से भी बड़ा धोखा है। उन्होंने कहा कि यूपीएस में फुल पेंशन के लिए 25 साल की सर्विस पूरी होने की सीमा कर्मचारियों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है। NPS (न्यू पेंशन स्कीम) और UPS कभी कर्मचारियों की मांग नहीं रही, पहले NPS और अब UPS को जबरदस्ती थोपा जा रहा है। दीपेन्द्र हुड्डा ने यूपीएस के विरोध में एक अगस्त को कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन को अपना पूर्ण समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि इसका बड़ा नुकसान अर्द्धसैनिक बल के कर्मचारियों को होगा। क्योंकि, जो जवान 25 साल की सर्विस से पहले रिटायरमेंट (VRS) लेंगे उन्हें भारी नुकसान उठाना होगा। क्योंकि, यूपीएस में बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के लिए 25 साल की सर्विस पूरी होने की सीमा तय कर दी गई है। ऐसे में उन्हें केवल 10 हजार की मामूली पेंशन ही मिलेगी। देश व प्रदेश भर में कर्मचारी चाहते हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि जब एनपीएस को लागू किया गया तो इसे ओपीएस से बेहतर बताया गया था, अब यूपीएस को ज्यादा बेहतर बताकर प्रचारित किया जा रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि केंद्र सरकार के तहत आने वाले 30 लाख कर्मचारियों में से अब तक केवल 20 हजार कर्मचारियों ने ही यूपीएस का विकल्प चुना है। इससे स्पष्ट होता हैं कि कर्मचारियों की मांग एनपीएस और यूपीएस नहीं केवल और केवल ओपीएस है। सरकार जबरदस्ती कर्मचारियों पर यूपीएस थोप रही है। यह स्कीम पेंशन स्कीम न होकर एक पेआऊट स्कीम है। पेआऊट के तहत एकमुश्त राशि जमा करवाने या निवेश करने पर प्राप्त लाभ का भुगतान होता है। कर्मचारियों से पुरानी पेंशन स्कीम छीनकर बीजेपी सरकार ने उनकी सामाजिक सुरक्षा को ही छीन लिया है।
उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारी पहले ही NPS से नाराज थे अब यूपीएस लागू करने को लेकर सरकारी कर्मचारी व्यथित हैं। उनकी मांग है कि रिटायरमेंट के दिन से उन्हें पुरानी पेंशन मिले, उनके खून-पसीने की कमाई जीपीएफ में रहे। एनपीएस और यूपीएस दोनों योजना, विनाशकारी हैं। एनपीएस के दायरे में आने वाले 99 फीसदी से अधिक कर्मचारियों ने यूपीएस को अस्वीकार कर दिया है। यही कारण है कि सरकार को यूपीएस का विकल्प चुनने की समय सीमा बढ़ानी पड़ी है। जबकि कर्मचारी हर हाल में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। UPS में डीए हटा कर बेसिक सैलरी का आधा पेंशन दिया जाएगा, लेकिन पांच साल के अंतराल में ही डीए का हिस्सा आम तौर पर बेसिक के बराबर या उससे अधिक हो जाता है। यानी यूपीएस के तहत पेंशन भी आधी हो जाएगी। जबकि ओल्ड पेंशन स्कीम स्वचालित डीए संशोधन और वेतन आयोगों के कार्यान्वयन के साथ पेंशन के रूप में अंतिम मूल वेतन का 50% गारंटी देता है। ओपीएस में पेंशन के लिए कर्मचारी को अपनी तरफ से कोई अंशदान नहीं देना पड़ता जबकि यूपीएस में कर्मचारी को पूरे सेवाकाल के दौरान अपने वेतन और डीए का 10 प्रतिशत अंशदान देना पड़ता है जो उसे सेवानिवृत्ति पर भी वापिस नहीं मिलता, न ही मृत्यु होने पर उसके नोमिनी को वापिस किया जाता है। यदि कर्मचारी का सेवानिवृत्ति के पश्चात पांच साल से पहले देहांत हो जाता है तो उस स्थिति में तो वह स्वयं के अंशदान की भी प्रतिपूर्ति नहीं कर पाता।