क्या मीडिया पर जलभराव का ठीकरा फोड़ना उचित है?
ऋषिप्रकाश कौशिक

गुरुग्राम, 3 अगस्त 2025 – गुरुग्राम की बादशाहपुर सीट से विधायक और हाल ही में दोबारा राज्य कैबिनेट में शामिल हुए राव नरबीर सिंह ने एक न्यूज चैनल को दिए बयान में कहा कि “बारिश में हर शहर में पानी भरता है, यह सामान्य बात है। गुरुग्राम में जलभराव की खबरें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाकर शहर की छवि खराब करने में मीडिया की अहम भूमिका है।”
लेकिन सवाल ये है कि क्या जनता की पीड़ा को दिखाना मीडिया का दोष है या प्रशासन की असफलता?

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में भी भाजपा शासन के दौरान, गुरुग्राम का हीरो होंडा चौक बारिश के चलते जलमग्न हो गया था, जहां 24 घंटे से भी अधिक समय तक ट्रैफिक जाम लगा रहा था। यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का कारण बनी थी। इसके बाद खांडसा गांव के बीचोंबीच एक बड़े नाले का निर्माण किया गया, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च हुए।

लेकिन आज, एक दशक बाद भी, राजीव चौक अंडरपास से लेकर सेक्टर 37 और सोहना रोड तक, जलभराव की स्थिति जस की तस बनी हुई है। स्थानीय लोगों की मानें तो हालात पहले से भी बदतर हो चुके हैं।
वहीं मंत्री जी ने शपथ लेते ही अधिकारियों की बैठकें करवाईं, तबादले किए और कहा कि पिछली बार टिकट कटने से गुरुग्राम विकास से वंचित रह गया था। अब जब वे पुनः सत्ता में हैं, तो उम्मीद थी कि समस्याओं का समाधान मिलेगा — लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही तस्वीर दिखा रहे हैं।
जनता को विकास का वादा कर वोट मांगने वाले मंत्री अब मीडिया को दोष देकर क्या अपने दायित्व से बच सकते हैं?
मीडिया का काम सवाल पूछना है — और जनता जानना चाहती है कि करोड़ों की योजनाओं के बावजूद गुरुग्राम हर मानसून में क्यों डूब जाता है?