गुरुग्राम/नई दिल्ली, 4 अगस्तलोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चीनी अतिक्रमण पर उठाए गए सवाल पर सुप्रीम कोर्ट की कथित टिप्पणी— “एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा”—ने देशभर में राजनीतिक और नैतिक बहस को जन्म दे दिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पर्ल चौधरी ने इस टिप्पणी को लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया।

पर्ल चौधरी ने कहा, “अगर कोई विपक्षी नेता यह पूछता है कि 2000 वर्ग किमी भारतीय भूमि पर चीन ने कब्जा कैसे किया, तो यह राष्ट्रविरोध नहीं, बल्कि राष्ट्रचिंतन है। यह सवाल भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और सरकार की पारदर्शिता से जुड़ा है।”

उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 19(1)(a) के अंतर्गत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है, जिसमें सवाल पूछने और आलोचना करने का अधिकार भी शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अधिकार विशेष रूप से विपक्षी नेताओं के लिए और अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे लोकतंत्र में सत्ता की निगरानी की ज़िम्मेदारी निभाते हैं।

पर्ल चौधरी ने याद दिलाया कि राहुल गांधी अकेले नहीं हैं। भाजपा के ही पूर्व सांसद तापीर गाव ने लोकसभा में कहा था कि 2014 के बाद चीन ने भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा किया है।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ‘सच्चा भारतीय’ वाली टिप्पणी को भावनात्मक और भ्रामक करार दिया और कहा, “‘सच्चा भारतीय’ कहना कोई संवैधानिक या कानूनी आधार नहीं है, यह केवल भावनात्मक राजनीति का औजार है।”

उन्होंने चेताया कि भाजपा नेताओं द्वारा कोर्ट की इस टिप्पणी को बढ़ावा देना लोकतांत्रिक असहमति को राष्ट्रविरोध में बदलने का खतरनाक चलन पैदा कर रहा है।

“राहुल गांधी की वैचारिक स्वतंत्रता लोकतंत्र की साँस है। सवाल पूछना देशभक्ति है, चुप रहना नहीं,” उन्होंने दोटूक कहा।

पर्ल चौधरी ने अंत में जोर दिया कि “आप भारतीय हैं या नहीं, यह इस बात से तय नहीं होता कि आप सरकार से सवाल पूछते हैं या नहीं। यह भारत के संविधान से तय होता है। मैं, मेरी कांग्रेस पार्टी और समूचा विपक्ष, सत्ता से सवाल पूछता रहेगा, क्योंकि यही लोकतंत्र की आत्मा है।”

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