13 अगस्त को सूर्य कुण्ड पर प्रतिमा के समक्ष होगा पवित्र संकल्प, समाज को मिलेगा जीवनदान का संदेश
कुरुक्षेत्र, 5 अगस्त (प्रमोद कौशिक): जब महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण के लिए अपनी अस्थियाँ दान कर दी थीं, तब उन्होंने न केवल बलिदान की पराकाष्ठा को परिभाषित किया, बल्कि समर्पण और सेवा की अमर मिसाल भी कायम की। आज उसी तपोभूमि कुरुक्षेत्र में उनकी प्रतिमा के चरणों में खड़े होकर समाज के जागरूक नागरिक 13 अगस्त को मृत्यु उपरांत देहदान का संकल्प लेंगे — एक ऐसा संकल्प, जो दूसरों के जीवन को रोशनी दे सकता है।
राष्ट्रीय देहदान दिवस के अवसर पर महर्षि दधीचि देहदान समिति कुरुक्षेत्र का गठन कर लिया गया है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए हैं। समिति के सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने गए अशोक रोशा, जो कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य भी हैं। उन्होंने बताया कि 13 अगस्त, विश्व अंगदान दिवस के पावन अवसर पर सन्निहित सरोवर स्थित सूर्य कुण्ड पर स्थापित महर्षि दधीचि की प्रतिमा के सामने सभी सदस्य अपने शरीर को मृत्यु उपरांत दान करने का संकल्प लेंगे।
यह केवल एक निर्णय नहीं, बल्कि मानवता को जीवन का अंतिम उपहार देने का एक भावनात्मक आह्वान होगा — “मरे तो क्या मरा, जिए तो औरों के लिए।”
अध्यक्ष रोशा ने वरिष्ठ सदस्यों रमेश दत्त शर्मा (मार्गदर्शक), जगमोहन बंसल (संरक्षक) और एम.के. मोदगिल से परामर्श के बाद समिति की कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें निम्न सदस्य शामिल हैं:
- मनोज सेतिया, रामचंद्र सैनी, मास्टर जितेंद्र – उपाध्यक्ष
- मिथुन समाना – महासचिव
- वी.के. सिंगला – सचिव
- जयप्रकाश पांवर – कोषाध्यक्ष
- एडवोकेट रविन्द्र अग्रवाल – लेखा परीक्षक
- विनोद ज्योतवाल – प्रचार सचिव
- महावीर डीपी, दीपक गिल, कैलाश गोयल, अमित शर्मा, वीरेंद्र वर्मा – सदस्य
इसके अतिरिक्त आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति और काया चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष को पदेन संरक्षक के रूप में जोड़ा गया है।
समिति का उद्देश्य देहदान के पवित्र विचार को जन-जन तक पहुँचाना है, ताकि कोई विद्यार्थी शरीर रचना विज्ञान को समझने के लिए भटकता न रहे, कोई शोध अधूरा न रह जाए और कोई रोगी अंगों की प्रतीक्षा में जीवन से हाथ न धो बैठे।
देहदान – एक अमर उत्तरदाता का उत्तराधिकार।
महर्षि दधीचि की इस परंपरा को आगे बढ़ाकर हम सब बना सकते हैं मृत्यु को भी एक महादान।