“इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह का सरकार पर तीखा प्रहार
गुरुग्राम, 6 अगस्त 2025: देशभर में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने केंद्र और हरियाणा सरकार पर तीखे सवाल दागे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2014 में किए गए हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के वादे को 11 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी करोड़ों युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। उन्होंने इसे “जुमलों की राजनीति” करार देते हुए मांग की कि सरकार अब जवाब दे — “रोज़गार कहां है?”
गुरिंदरजीत सिंह ने प्रेस वक्तव्य में कहा, “अब युवाओं को जुमले नहीं, रोजगार चाहिए। अगर सरकार वादे पूरे नहीं कर सकती तो सत्ता छोड़ दे।”
उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह झूठे आंकड़ों और खोखले दावों के सहारे जनता को लगातार गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि 17 करोड़ रोजगार देने का दावा एक “सरासर गप और आंकड़ों की बाज़ीगरी” है।
हरियाणा बना बेरोजगारी का गढ़
इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने विशेष रूप से हरियाणा की स्थिति को “गंभीर और शर्मनाक” बताते हुए कहा कि
“हरियाणा आज बेरोजगारी दर में देश में नंबर-1 है, यह हमारे युवाओं के भविष्य के साथ खुला मज़ाक है।”
उन्होंने प्रदेश की ट्रिपल इंजन सरकार (केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय) को पूरी तरह विफल बताया और सरकार से तीन सीधा सवाल दागे:
- हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा कब पूरा होगा?
- बैकलॉग पदों पर भर्ती अब तक क्यों नहीं हुई?
- ट्रिपल इंजन सरकार के बावजूद युवाओं को रोजगार क्यों नहीं मिल रहा?
सरकार से मांगी ये 4 बड़ी घोषणाएं:
गुरिंदरजीत सिंह ने सरकार से बेरोजगारी दूर करने के लिए चार ठोस मांगें की:
- सरकारी भर्तियों के लिए स्पष्ट रोडमैप जारी किया जाए।
- बैकलॉग पदों पर सीधी भर्ती की घोषणा की जाए।
- प्रत्येक जिले में रोजगार मेले व स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोले जाएं।
- रोजगार मिलने तक युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
“रेहड़ी वालों को उजाड़कर भी सरकार बना रही बेरोजगार”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार नई नौकरियां देना तो दूर, जो लोग अपने दम पर गुज़ारा कर रहे हैं, जैसे रेहड़ी-पटरी वाले, उनकी भी रोज़ी-रोटी छीन रही है।
“ऐसे तानाशाही रवैये से देश नहीं चल सकता। सरकार को जनता और युवाओं के बारे में गंभीरता से सोचना होगा।”
समाधान के लिए संवाद की पेशकश
इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने गुरुग्राम प्रशासन से अपील की कि यदि रोजगार नीतियों पर कोई विचार-विमर्श या जनसंवाद की पहल की जाती है तो वे उसमें हिस्सा लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि
“नीतियों में यदि कोई कमी है तो सार्वजनिक बैठक कर समाधान निकाला जाए, ताकि कोई भी युवा बेरोजगार न रहे और किसी की रोज़ी-रोटी न छीनी जाए।”