चंडीगढ़, 6 अगस्त। हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री अनिल विज ने अपने आगामी दौरे को लेकर जो स्पष्टता दिखाई है, वह न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पार्टी के आंतरिक समीकरणों की ओर भी संकेत करती है। विज ने कहा, “मैं राजनीतिक दौरे नहीं करूंगा, मैं कोई मीटिंग नहीं करूंगा, मैं कोई जलसा नहीं करूंगा। मेरा लोगों और नए व पुराने कार्यकर्ताओं से मिलने का कार्यक्रम है और यह कार्यक्रम कोई भी कर सकता है।”

पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी जोड़ा, “मैं शिथिल कार्यकर्ताओं और नाराज कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना चाहता हूं और मैं भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में बहुत मजबूत देखना चाहता हूं।”

राजनीतिक संदर्भ में विज का यह बयान क्यों महत्वपूर्ण है?

हरियाणा में भाजपा सरकार की तीसरी पारी चल रही है, लेकिन इस बार पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला है। मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाए जाने के बाद से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में असंतोष और अलग-थलग पड़ने के संकेत समय-समय पर दिखते रहे हैं। अनिल विज, जो न केवल भाजपा के तेजतर्रार और लोकप्रिय नेताओं में से हैं, बल्कि खट्टर सरकार में भी उनका रुख अक्सर स्वतंत्र रहा है, इस बदलाव के बाद से अपेक्षाकृत शांत रहे।

ऐसे में उनका यह कहना कि वे राजनीतिक दौरे नहीं करेंगे, परंतु कार्यकर्ताओं से मिलेंगे, इस ओर इशारा करता है कि वे संगठन को लेकर गंभीर हैं, लेकिन फिलहाल सत्ता की राजनीति में सक्रिय भूमिका नहीं निभाना चाहते। यह कदम उन कार्यकर्ताओं को फिर से जोड़ने की कोशिश है जो नेतृत्व परिवर्तन या अन्य कारणों से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं।

कार्यकर्ताओं के ‘सक्रियकरण’ का अर्थ क्या है?

विज का यह फोकस कि “नए और पुराने, खासकर नाराज़ और निष्क्रिय कार्यकर्ताओं से मिलूंगा”, यह साफ तौर पर भाजपा के जमीनी ढांचे को पुनः सशक्त करने का प्रयास है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह “डैमेज कंट्रोल” की रणनीति भी हो सकती है, क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस, जेजेपी और आम आदमी पार्टी लगातार भाजपा के खिलाफ माहौल बना रही हैं और कई क्षेत्रों में कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं।

क्या यह भाजपा नेतृत्व को संदेश है?

यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या विज अपने इस ‘गैर-राजनीतिक’ दौरे के माध्यम से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को कोई संदेश दे रहे हैं? जानकार मानते हैं कि पार्टी में अनिल विज की भूमिका को सीमित किए जाने की चर्चाओं के बीच यह दौरा एक संगठनात्मक चेतावनी की तरह भी देखा जा सकता है—कि जमीनी नेता और कार्यकर्ता अब भी विज के साथ हैं।

निष्कर्ष: विज का कार्यक्रम, भाजपा की मजबूती या नई रणनीति?

अनिल विज का यह बयान और उनकी आगामी गतिविधियाँ भाजपा की चुनावी रणनीति में कितना योगदान देंगी, यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन इतना तय है कि हरियाणा की सियासत में अनिल विज का संवाद अभियान एक नई सरगर्मी जरूर पैदा करेगा।

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