वेदप्रकाश विद्रोही बोले – हरियाणा में अपराधियों को मिल रहा सत्ता संरक्षण, कानून बना खिलौना

चंडीगढ़/रेवाड़ी, 7 अगस्त 2025 – हरियाणा की राजनीति और कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार एक सजायाफ्ता बलात्कारी और हत्यारे को बार-बार पैरोल देकर न सिर्फ संविधान का मज़ाक उड़ा रही है, बल्कि कानून के साथ खुला सौदा भी कर रही है।
377 दिन की छूट, दो बार उम्रकैद – क्या यह मात्र संयोग है?
वेदप्रकाश विद्रोही ने तथ्यों के आधार पर कहा कि वर्ष 2020 के बाद से गुरमीत राम रहीम को 14 बार पैरोल और फरलो मिली है, जिनकी कुल अवधि 377 दिन बनती है। राम रहीम को बलात्कार (धारा 376) और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में दो-दो बार आजीवन कारावास की सजा मिल चुकी है। बावजूद इसके, उसे जिस तरह छूट दी जा रही है, वह गंभीर सवाल पैदा करती है।
विद्रोही ने कहा, “जब कोई दोषी दो-दो बार उम्रकैद की सजा भुगत रहा हो, तो उसे बार-बार छूट देना क्या सरकार की कोई मजबूरी है या यह किसी ‘राजनीतिक सौदे’ का हिस्सा है?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिस धारा 376 में राम रहीम को दोषी ठहराया गया, उसी का उलट ‘377 दिन’ की रिहाई एक प्रतीकात्मक विडंबना बन चुकी है।
अप्रैल में 21 दिन, अगस्त में फिर 40 दिन – ऐसा क्या बदल गया?
विद्रोही ने सवाल किया कि अप्रैल 2025 में ही राम रहीम को 21 दिन की पैरोल मिली थी। फिर केवल तीन माह बाद अगस्त के पहले सप्ताह में ही उसे दोबारा 40 दिन के लिए रिहा कर दिया गया। “क्या जेल से बाहर आनंद उठाना अब सजा के नियमों का हिस्सा बन चुका है?”
क्या आम कैदियों को भी ऐसा ‘विशेषाधिकार’ मिलता है?
उन्होंने चुनौतीपूर्ण लहजे में कहा, “हरियाणा की जेलों में क्या कोई और ऐसा कैदी है, जिसे उम्रकैद की सजा भुगतते हुए 377 दिन की पैरोल या फरलो मिली हो?” अगर नहीं, तो सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर गुरमीत राम रहीम को यह ‘विशेष दर्जा’ किस आधार पर दिया जा रहा है?
‘वोट और नोट’ की राजनीति का चरम?
विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार कानून का उपयोग नहीं, बल्कि दुरुपयोग कर रही है – वह भी राजनीतिक लाभ के लिए। उन्होंने कहा, “जो भी भाजपा और संघ की कठपुतली बन कर नाचेगा, चाहे वह गैंगस्टर हो, बलात्कारी हो या हत्यारा – उसे सत्ता संरक्षण मिलेगा, पैरोल मिलेगी और मंच भी मिलेगा।”
40 गैंगस्टरों पर चुप्पी क्यों?
उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार गुरमीत राम रहीम को वोट और धन के लिए संरक्षण दे सकती है, तो यह मानने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए कि हरियाणा के अन्य 40 गैंगस्टरों को भी इसी सत्ता से संरक्षण मिल रहा है। सवाल है – क्या अब अपराधियों से रिश्ता जोड़ना ही ‘नया हरियाणा मॉडल’ बन गया है?
न्याय व्यवस्था पर सीधा प्रहार
वेदप्रकाश विद्रोही ने अपने बयान में यह भी चेतावनी दी कि यदि न्याय के सिद्धांतों की ऐसी ही अवहेलना होती रही, तो जनता का कानून व्यवस्था और सरकार, दोनों से विश्वास उठ जाएगा। उन्होंने कहा, “जब सरकार खुद कानून तोड़ने वालों को संरक्षण दे, तब अपराध कैसे रुकेगा?”
विश्लेषण:
हरियाणा सरकार को स्पष्ट करना होगा कि क्या पैरोल कानून सबके लिए समान रूप से लागू होता है, या फिर कुछ लोगों के लिए यह राजनीतिक पुरस्कार का माध्यम बन गया है। गुरमीत राम रहीम के मामले ने न सिर्फ कारावास प्रणाली, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।