गुरुग्राम, 7 अगस्त। हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना से जुड़े अनुबंधित अस्पतालों द्वारा आयुष्मान मरीजों का इलाज बंद करने और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की राज्यव्यापी हड़ताल के बीच कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने सरकार की मंशा और संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि “यह कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि प्रशासनिक असंवेदनशीलता और राजनीतिक उदासीनता का नतीजा है।”

पर्ल चौधरी ने कहा कि “स्वास्थ्य विभाग की फाइलों और बैठकों में जितनी तेजी सरकार अब दिखा रही है, उतनी ही तेजी पिछले कई महीनों से अनुबंधित अस्पतालों के डॉक्टरों की समस्याओं के समाधान में दिखाई गई होती, तो आज यह जनस्वास्थ्य आपातकाल न खड़ा होता।”

उन्होंने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल द्वारा हरियाणा आईएमए के प्रतिनिधियों से की गई बैठक और दावों के भुगतान की प्रक्रिया को केवल ‘आँकड़ों की चादर में लिपटी सच्चाई से मुंह मोड़ने की कोशिश’ बताया। उन्होंने कहा कि “सरकार प्रेस नोट में करोड़ों के आंकड़े गिना रही है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि गरीब मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, डॉक्टर हड़ताल पर हैं और मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री मौन साधे हुए हैं।”

‘मुख्यमंत्री जवाब दें – स्वास्थ्य प्राथमिकता है या प्रचार?’
पर्ल चौधरी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से सीधे सवाल पूछते हुए कहा, “क्या आपको हृदय रोगियों की चीखें नहीं सुनाई देतीं? क्या केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस और पोस्टर में ही नया हरियाणा मॉडल दिखाना है?”

उन्होंने याद दिलाया कि गुरुग्राम सिविल अस्पताल की स्थिति को लेकर उन्होंने एक माह पहले ही आगाह किया था, लेकिन उस चेतावनी को ‘राजनीतिक वक्तव्य’ कहकर भाजपा की सरकार ने नजरअंदाज़ कर दिया।

‘आयुष्मान भारत नहीं, आयुष्मान बाधित योजना बन गई है’
पर्ल चौधरी ने कहा कि आयुष्मान योजना का उद्देश्य गरीबों को सस्ता और समय पर इलाज देना था, लेकिन आज यह योजना खुद ‘आर्थिक अस्थिरता और प्रशासनिक असफलता’ का प्रतीक बन गई है। उन्होंने कहा, “कैंसर, दिल और किडनी के मरीज ‘फाइल नंबर’ नहीं, इलाज माँगते हैं।”

‘डॉ. डीएस जसपाल और डॉ. अनिल मलिक की टिप्पणियाँ वास्तविकता से दूर’
पर्ल चौधरी ने IMA के कुछ पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारियों की उन टिप्पणियों पर भी नाराज़गी जताई जिसमें सरकार के निष्क्रियता के बावजूद वाहवाही करने की कोशिश की जा रही है । उन्होंने कहा: “जो अनुबंधित अस्पतालों के डॉक्टर फील्ड में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें बेहतर मालूम है कि किस स्तर की बदहाली है। बाहर बैठकर बयान देने वाले लोग न तो मरीज की पीड़ा समझते हैं और न ही अपने साथी डॉक्टरों की आर्थिक पीड़ा।”

‘राजनीति नहीं, मानवता चाहिए’
अंत में पर्ल चौधरी ने राज्य सरकार से अपील की कि “वह विपक्षी नेताओं की चेतावनियों को विरोध नहीं, सुझाव माने।” उन्होंने कहा, “यह वक्त राजनीति करने का नहीं, हरियाणा के गरीब मरीजों की जान बचाने का है। यदि मुख्यमंत्री चाहें तो आज भी इस संकट से उबर सकते हैं, वरना जनता उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगी।”

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