चंडीगढ़, 7 अगस्त — हरियाणा सरकार आपराधिक न्याय प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए अपने प्रयासों को तेज़ कर रही है, जिसमें ‘‘चिह्नित अपराध’’ मामलों में दोषसिद्धि दर बढ़ाने पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है। 26वीं राज्य-स्तरीय समिति की बैठक में बोलते हुए गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि वर्तमान दोषसिद्धि दर 61.17 प्रतिशत और निरंतर कार्रवाई के माध्यम से इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है।

डॉ. मिश्रा ने अधिकारियों से एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के निपटारे में तेज़ी लाने का आग्रह किया, जो न्यायिक दक्षता में सुधार, समय पर न्याय प्रदान करने और कानून प्रवर्तन एवं कानूनी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को मज़बूत करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हरियाणा में नई गवाह संरक्षण नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया है जो एक अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और विश्वसनीय न्याय प्रणाली के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। फरवरी 2025 में जारी अधिसूचना के बाद से इस नीति को सक्रिय रूप से लागू किया गया है जो गवाही देने के लिए आगे आने वाले व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
बहुत कम समय में ही आठ जिलों से गवाह सुरक्षा के लिए 20 आवेदन प्राप्त हुए हैं। एक मामले को छोड़कर, जहाँ कोई विश्वसनीय खतरा नहीं पाया गया, अन्य सभी मामलों में जिला-स्तरीय समितियों द्वारा सुरक्षात्मक उपायों को सफलतापूर्वक लागू किया गया, जिससे गवाहों की सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिला। नीति की पहुँच को और बढ़ाने के लिए डॉ. मिश्रा ने पुलिस और अभियोजन पक्ष को व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू करने और प्राप्त आवेदनों और की गई कार्रवाई पर व्यापक जिलावार रिपोर्ट संकलित करने का निर्देश दिया। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि नागरिकों को कानूनी कार्यवाही में सहायता के लिए प्रोत्साहित करना भी है, जिससे कानून प्रवर्तन प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
इसके अलावा, समिति ने डिजिटल और फोरेंसिक साक्ष्यों को संभालने में कर्मियों को प्रशिक्षित करने के महत्व पर जोर दिया। 2021 से, हरियाणा पुलिस अकादमी ने इस विषय पर 39 पाठ्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें 1,294 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया है। विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से, राज्य भर के सभी जाँच अधिकारियों (ईओज़) को गहन ‘‘आईजीओटी कर्मयोगी’’ प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है।
बैठक के दौरान बताया गया कि फरीदाबाद और जींद जिले इस पहल में अग्रणी रहे हैं, जहाँ दोनों ने शत-प्रतिशत दोषसिद्धि दर दर्ज की है। कई अन्य जिलों से भी उत्कृष्ट परिणाम आए हैं। सिरसा में 78.57 प्रतिशत की उच्च दोषसिद्धि दर दर्ज की गई, जबकि रेवाड़ी और कुरुक्षेत्र में भी क्रमशः 77.27 प्रतिशत और 75 प्रतिशत हैं, जो राज्य भर में ‘‘चिह्नित अपराध’’ कार्यक्रम की व्यापक सफलता को दर्शाते हैं। डबवाली में 90.91 प्रतिशत की अभूतपूर्व दोषसिद्धि दर हासिल की गई। इसके अतिरिक्त, गुरुग्राम ने 55.10 प्रतिशत, हिसार (56.00 प्रतिशत), झज्जर (55.56 प्रतिशत), और कैथल (55.36 प्रतिशत) जैसे जिलों के आँकड़े भी सकारात्मक रुझान की पुष्ट कर रहे हैं।
बैठक में गृह सचिव श्रीमती गीता भारती, एडीजीपी/राज्य अपराध शाखा संजय सिंह, आईजी/सीआईडी श्री मनीष चौधरी, डीआईजी/राज्य अपराध शाखा श्री हामिद अख्तर और निदेशक अभियोजन श्री नरशेर सिंह उपस्थित थे।