· नियमित वेतन दिया जा रहा है तो एनएचएम कर्मचारी विरोध-प्रदर्शन क्यों कर रहे – दीपेन्द्र हुड्डा
· जमीनी हकीकत सरकार के जवाब के विपरीत है, कर्मचारी पिछले एक साल से बकाया वेतन वृद्धि, भत्तों और अन्य सेवा लाभों के लिए संघर्ष कर रहे– दीपेन्द्र हुड्डा
· सरकार हरियाणा के एनएचएम कर्मचारियों की बात सुने और उनकी समस्या का समाधान करे – दीपेन्द्र हुड्डा
चंडीगढ़, 08 अगस्त। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा के लगभग 15,000 नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) कर्मचारियों की मांगों को सरकार के सामने रखते हुए सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार को इस बात की जानकारी है कि स्थाई सेवा के बावजूद NHM कर्मचारियों को अस्थायी वेतन, असुरक्षा की स्थिति और महीनों तक महंगाई भत्ते में वृद्धि का भुगतान न होने का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा सरकार ने NHM कर्मचारियों को सेवा लाभों से वंचित कर दिया है और सेवा संबंधी उप-नियमों को जून 2024 से निलंबित कर दिया है। लोकसभा में उनके तारांकित प्रश्न संख्या 3254 के जवाब में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने हरियाणा सरकार के हवाले से बताया कि हरियाणा में “सभी एनएचएम कर्मचारियों को नियमित रूप से वेतन दिया जा रहा है”। जबकि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि NHM कर्मचारियों की मांगें जायज हैं सरकार हरियाणा के एनएचएम कर्मचारियों की बात सुने और उनकी समस्या का समाधानकरे।
सरकार के जवाब से असहमत सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के लगभग 15,000 कर्मचारी पिछले एक साल से अपने बकाया वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता और अन्य सेवा लाभों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। NHM कर्मचारियों को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अनेक कर्मचारी अपने बच्चों की स्कूल फीस भी समय पर नहीं भर पा रहे हैं। केंद्र सरकार यह कहकर पल्ला झाड़ रही है कि यह “राज्य का मामला” है, जबकि NHM की फंडिंग और नीतिगत नियंत्रण केंद्र के हाथ में है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों की सेवा नियमावली को ठंडे बस्ते में डालकर सीधे उनके अधिकारों पर चोट की है। महीनों तक वेतन वृद्धि और भत्ता रोकना न केवल आर्थिक अन्याय है, बल्कि कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ने की कोशिश भी है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार के जवाब में जून 2024 में हरियाणा में एनएचएम सेवा उप-नियमों के निलंबन पर कोई स्पष्टीकरण या समाधान नहीं दिया गया, जिससे कर्मचारियों के अधिकार और नौकरी की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ रहा है। सरकार ने हरियाणा जैसे राज्यों में एनएचएम कर्मचारियों की सेवा लाभ बहाली के लिए कोई समीक्षा या निर्देश जारी नहीं किए। एनएचएम को केंद्र से वित्तपोषण और तकनीकी मदद मिलती है, फिर भी केंद्र का राज्यों से जवाबदेही तय करने या कार्रवाई करने में हिचक दिखाना संघीय स्वास्थ्य प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा के सवाल के जवाब में सरकार ने यह भी बताया कि एनएचएम के अंतर्गत कार्यशील सभी मानव संसाधन (HR) बजट का 5% वेतन वृद्धि के रूप में स्वीकृत किया जाता है और कुल मानव संसाधन बजट का 3% मानव संसाधन प्रोत्साहन के लिए अनुशंसित किया जाता है, जिसके अंतर्गत राज्य को वास्तविक वेतन वृद्धि तय करने का विवेकाधिकार होता है। उन्होंने यह भी बताया कि एनएचएम कर्मचारियों के लिए 13.36% की दर से 1 अप्रैल, 2015 को/उसके बाद 15000 प्रति माह ईपीएफ (नियोक्ता का अंशदान) में भी योगदान देता है।