गुरिंदरजीत सिंह ने मोदी सरकार पर लगाया भेदभाव और नफरत का आरोप

राज्यपाल को सम्मान नहीं, क्या यही है मोदी सरकार का नया राजनीतिक संस्कार?

  • फिल्म अभिनेत्री को मिला राजकीय सम्मान, पाँच राज्यों के राज्यपाल को नहीं — क्यों?
  • सत्ता से सवाल करने की सज़ा, मरने के बाद भी?
  • पुलवामा पर चुप न रहने का बदला, अंतिम विदाई में अपमान?
  • पहले डॉ. मनमोहन सिंह, अब सत्यपाल मलिक — मोदी सरकार का सम्मान पर दोहरा मापदंड
  • राजनीति से ऊपर उठना सरकार का धर्म, लेकिन नफरत ने ले ली जगह

गुरुग्राम। कांग्रेस नेता गुरिंदरजीत सिंह ने केंद्र और हरियाणा सरकार से सवाल किया कि विधायक, दो बार सांसद और पाँच राज्यों के राज्यपाल रह चुके स्वर्गीय सत्यपाल मलिक को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई क्यों नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यह न केवल अपमानजनक है, बल्कि सत्ता के आलोचकों के प्रति मोदी सरकार के नफरत भरे रवैये को भी उजागर करता है।

उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी, जो कभी किसी सरकारी पद पर नहीं रहीं, उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विदा किया गया, लेकिन एक पूर्व राज्यपाल को यह सम्मान नहीं मिला। “क्या यह संदेश देने की कोशिश है कि जो सत्ता से सवाल करेगा, उसे मरने के बाद भी यही सज़ा मिलेगी?” उन्होंने सवाल किया।

गुरिंदरजीत सिंह ने पुलवामा हमले का मुद्दा भी उठाया और कहा कि सत्यपाल मलिक ने खुद आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस हमले पर चुप रहने को कहा था। “सत्यपाल मलिक ने कहा था कि 2019 का चुनाव सैनिकों के शवों पर लड़ा गया और यदि जांच होती तो तत्कालीन गृह मंत्री को इस्तीफ़ा देना पड़ता,” उन्होंने याद दिलाया।

उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के समय पीएम मोदी जिम कॉर्बेट में शूटिंग कर रहे थे और घटना की जानकारी देने पर भी उन्होंने राज्यपाल से चुप रहने को कहा। “क्या यही वजह है कि उन्हें मरणोपरांत भी अपमानित किया गया?” उन्होंने पूछा।

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि बीजेपी सरकार का यह रवैया केवल सत्यपाल मलिक तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के मामले में भी अनादर दिखाया गया। “पहले सिख प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करके जानबूझकर अपमान किया गया,” उन्होंने आरोप लगाया।

उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार को नसीहत दी कि किसी भी नेता के निधन पर राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर अंतिम संस्कार में उचित सम्मान देना सरकार की ज़िम्मेदारी है।

वे सिखों, किसानो, पंजाबियों के सबसे बड़े सच्चे हितैषी रहे।
“सत्यपाल मलिक आज हमारे बीच नहीं रहे, भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।” गुरिंदरजीत सिंह

Share via
Copy link