· सरकार के जवाब से पता चला कि वो सर्वोच्च अदालत के आदेशों को लागू करने की बजाय अपीलों के माध्यम से मामले को टाल रही – दीपेंद्र हुड्डा
· देश के CAPF कार्मिकों के साथ अन्याय और भेदभाव क्यों – दीपेन्द्र हुड्डा
· सिपाही से उप निरीक्षक तक के CAPF कार्मिकों को सेवानिवृत्ति पर वित्तीय या पेंशन लाभ न देना उनके साथ घोर अन्याय – दीपेन्द्र हुड्डा
· सेना की तर्ज पर CAPF कर्मियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाए – दीपेंद्र हुड्डा
· देश की सुरक्षा करने वाले सशस्त्र बलों के हितों व भविष्य की सुरक्षा करना सरकार का दायित्व – दीपेंद्र हुड्डा
चंडीगढ़, 12 अगस्त। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा द्वारा लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर से साफ हो गया कि देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने में कभी पीछे न हटने वाले BSF समेत सभी CAPF बलो को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद पुरानी पेंशन से वंचित किया जा रहा है, मामले को समीक्षा, अपील के जरिए टाला जा रहा है। साथ ही सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी पद से नीचे के कार्मिकों को पदोन्नति तो मिलती है लेकिन उस पद का वित्तीय व पेंशन लाभ नहीं दिया जाता। देश के CAPF कार्मिकों के साथ अन्याय और भेदभाव क्यों? दीपेन्द्र हुड्डा के सवाल पर गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) में से एक है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 23.05.2025 के फैसले की समीक्षा हेतु समीक्षा याचिका दायर की है, जो अभी विचाराधीन है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार देश की सर्वोच्च अदालत के आदेशों को लागू करने के बजाय अपीलों के माध्यम से मामले को टाल रही है, जिससे हजारों CAPF कर्मियों को सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा से भी वंचित होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के 2023 के स्पष्ट आदेश, जिसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) सहित सीमा सुरक्षा बल (BSF) को पुरानी पेंशन योजना (OPS) के तहत कवर करने का निर्देश दिया गया था, और सर्वोच्च न्यायालय के मई 2025 के ऐतिहासिक फैसले—जिसमें CAPF को पूर्ण Organised Group ‘A’ Service (OGAS) का दर्जा प्रदान किया गया—के बावजूद केंद्र सरकार इन निर्देशों को पूरी तरह लागू करने में रुचि नहीं दिखा रही है।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने प्रश्न संख्या 3839 के जवाब में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सिपाही से उप निरीक्षक तक के CAPF कार्मिकों को सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन एक पद ऊपर मानक पद प्रदान किया है, जिसमें किसी भी प्रकार का वित्तीय या पेंशन लाभ शामिल नहीं है। इस पर दीपेन्द्र हुड्डा ने भेदभावपूर्ण व्यवहार पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 23 मई 2025 के आदेश में छह माह के भीतर सभी OGAS लाभ, कैडर पुनर्गठन और नेतृत्व पदों पर IPS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति में कमी लाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद गृह मंत्रालय पर “चुनिंदा लाभ” देने का आरोप है—जैसे निचले स्तर के कर्मियों को केवल मानद रैंक प्रदान करना, जो अक्सर आर्थिक लाभ से रहित होते हैं—जबकि उच्च जोखिम वाले कॉम्बैट रोल में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों को इससे बाहर रखा गया है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि यह चयनात्मक रवैया न केवल न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है, बल्कि उन बलों के मनोबल को भी गहरी चोट पहुँचाता है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और आतंकी विरोधी अभियानों में अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सेवा करते हैं।
दीपेन्द्र हुड्डा के सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि ये भारत संघ के सशस्त्र बल हैं। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सेना में आज भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है अतः CAPF कर्मियों की मांग पूरी करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाए। CAPF कर्मियों के लिए 100 दिन का अवकाश सुनिश्चित किया जाए। हर राज्य में सैनिक बोर्ड की तर्ज पर राज्य अर्धसैनिक बोर्ड का गठन हो। उन्होंने बताया कि हरियाणा में अर्धसैनिक बोर्ड को अधूरे ढंग से गठित किया गया है। सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि यह विषय हमारे देश की रक्षा और सेवा में तैनात हर एक CAPF कर्मी के हित से जुड़ा अति-महत्त्वपूर्ण विषय है। इनकी मांगों को मेरा पूर्ण समर्थन पहले भी रहा है और आगे भी रहेगा। केंद्रीय पुलिबल में बीएसएफ, सीआईएसएफ, एनएसजी, एसएसबी, आईटीबीपी, सीआरपीएफ आदि शामिल हैं। कश्मीर से लेकर नार्थ इस्ट तक, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, देश की सीमाओं, बंदरगाहों यहां तक कि संसद तक की सुरक्षा भी इनके हाथों में है।