भाजपा का प्रचार बनाम जनता की परेशानी – संगठन में गुटबाज़ी, विधायक का अनुशासनहीन रवैया

ऋषिप्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। भाजपा इन दिनों “सेवा पखवाड़ा” और “पंच परिवर्तन” जैसे अभियानों को घर-घर पहुँचाने का दावा कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत बताती है कि गुरुग्राम में संगठन खुद गुटबाज़ी और अनुशासनहीनता से जूझ रहा है। सवाल उठता है कि जब पार्टी अपने ही कार्यकर्ताओं और विधायकों पर नियंत्रण नहीं रख पा रही, तो जनता तक किस सेवा का संदेश पहुंचेगा?

विधायक की गैरहाजिरी से फूटा संगठन का विवाद

आज हुई भाजपा जिला कार्यकारिणी की बैठक में गुरुग्राम विधायक मुकेश शर्मा अपने समर्थक पार्षदों के साथ नदारद रहे। यह गैरहाजिरी महज़ अनुपस्थिति नहीं, बल्कि संगठन के अनुशासन पर सीधी चुनौती मानी जा रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि विधायक संगठन से ज्यादा अपने “आका” यानी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के इशारों पर चलते हैं।

जिलाध्यक्ष पर आरोप, कार्यकर्ता नाखुश

कुछ निगम पार्षदों ने खुलकर भाजपा जिलाध्यक्ष पिंटू त्यागी पर आरोप लगाया कि वे स्थानीय मंत्री के पर्सनल पीए की तरह काम कर रहे हैं, कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रहे हैं और घमंडी रवैया अपनाते हैं। कई कार्यकर्ताओं का आरोप है कि आम कार्यकर्ता तो फोन पर भी उनसे बात नहीं कर सकता।

इतिहास गवाह—लगातार तीसरी बार उपेक्षा

गुरुग्राम के विधायक लगातार संगठन और सरकार से टकराते रहे हैं।

  • 2014 के विधायक उमेश अग्रवाल मुख्यमंत्री से अनबन के चलते कोई बड़ा काम नहीं करा पाए।
  • 2019 में सुधीर सिंगला पूरे कार्यकाल में लगभग निष्क्रिय रहे, क्योंकि टिकट उन्हें “श्रद्धांजलि स्वरूप” मिला था।
  • अब 2024 में मुकेश शर्मा भी पार्टी अनुशासन से अलग राह पकड़ते दिख रहे हैं।

ऐसे में गुरुग्राम की जनता लगातार तीसरी बार विकास कार्यों की उपेक्षा झेल रही है।

जनता के जख्म—गंदगी, जलभराव और गुंडागर्दी

गुरुग्राम की जनता फिलहाल गंदगी, जलभराव, ट्रैफिक जाम, गुंडागर्दी और गोलीबारी जैसी समस्याओं से त्रस्त है। जनता को चाहिए राहत और सुरक्षा, लेकिन भाजपा नारेबाज़ी और अभियानों में व्यस्त दिख रही है।

विपक्ष की बढ़ती सक्रियता

लंबे अरसे बाद कांग्रेस का संगठन भी नया जिलाध्यक्ष नियुक्त होने के बाद सक्रिय हुआ है। पार्टी कूड़े और जलभराव जैसी समस्याओं पर धरना-प्रदर्शन और सरकार के घेराव की तैयारी कर रही है। ऐसे में सवाल है कि क्या भाजपा जनता का भरोसा बनाए रख पाएगी या कांग्रेस इस मौके का फायदा उठाकर जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करेगी?

बड़ा सवाल

  • क्या भाजपा का “सेवा पखवाड़ा” जनता का भरोसा जीत पाएगा या रह जाएगा केवल जुमला?
  • क्या संगठन स्थानीय विधायक पर नकेल कस पाएगा या अनुशासनहीनता बढ़ती जाएगी?
  • क्या गुरुग्राम की जनता फिर से विकास कार्यों की उपेक्षा झेलेगी?
  • या सच में साबित हो जाएगा कि— “राव इंद्रजीत का पहलवान सब पर भारी”?
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