राजीव गांधी: कंप्यूटर क्रांति, लोकतंत्र और युवा सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा-चौधरी संतोख सिंह

गुरुग्रामः राजीव गांधी ज्योति यात्रा के गुरुग्राम पहुँचने के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के अध्यक्ष एवं जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि भारत रत्न श्री राजीव गांधी भारतीय राजनीति के ऐसे युवा और दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने देश को 21वीं सदी की दिशा में अग्रसर करने की नींव रखी। उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था और वे भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। उन्होंने न केवल राजनीति में नई ऊर्जा लाई, बल्कि भारत के विकास के कई अहम क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव किए।

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी को भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर क्रांति का श्रेय दिया जाता है। 1980 के दशक में जब कंप्यूटर का विरोध हो रहा था, तब राजीव गांधी ने इसके महत्व को पहचाना और इसे देश में लाने का साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने आईटी क्षेत्र को बढ़ावा दिया और भारत को एक डिजिटल युग की ओर ले जाने का रास्ता खोला। आज भारत की जो आईटी ताकत है, उसकी नींव राजीव गांधी के दूरदर्शी फैसलों में ही है।

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी का मानना था कि लोकतंत्र की असली ताकत गांवों में है। उन्होंने पंचायती राज को मजबूत करने के लिए कई अहम कदम उठाए। उनके प्रयासों से ग्राम पंचायतों को अधिक सत्ता और अधिकार मिले, जिससे स्थानीय विकास को बढ़ावा मिला। उनका यह विश्वास था कि ग्राम सरकारों को वही सम्मान मिलना चाहिए जो संसद और विधानसभा को मिलता है। उन्होंने पंचायतों को संविधानिक दर्जा दिलाने के लिए ऐतिहासिक 73वां संविधान संशोधन विधेयक भी पारित किया।

चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि राजीव गांधी ने भारतीय युवाओं को राजनीति में भागीदारी का मौका देने के लिए वोटिंग की उम्र 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी। यह कदम न सिर्फ क्रांतिकारी था, बल्कि इससे करोड़ों युवाओं को लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभाने का अवसर मिला। आज जब कोई 18 वर्षीय युवक गर्व से मतदान करता है, तो उसके पीछे राजीव गांधी की सोच और निर्णय की झलक साफ दिखाई देती है।

उन्होंने कहा कि राजीव गांधी एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने भविष्य की सोच के साथ वर्तमान को दिशा दी। तकनीक, लोकतंत्र और युवा सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी जयंती पर हम न केवल उन्हें याद करते हैं, बल्कि उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलने की प्रेरणा भी लेते हैं।

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