Tag: डॉ. सत्यवान सौरभ

“क्लासरूम से कॉर्पोरेट तक : उच्च शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी”

“डिग्री से दक्षता तक: शिक्षा प्रणाली को उद्योग से जोड़ने की चुनौती” “डिग्री नहीं, दक्षता चाहिए: नई अर्थव्यवस्था की नई ज़रूरतें” “कुशल भारत की कुंजी: उद्योग अनुरूप विश्वविद्यालय शिक्षा” वर्तमान…

मीडिया, स्त्री और सनसनी: क्या हम न्याय कर पा रहे हैं?

“धोखे की खबरें बिकती हैं, लेकिन विश्वास की कहानियाँ दबा दी जाती हैं — क्या हम संतुलन भूल गए हैं?” मीडिया में स्त्रियों की छवि और उससे जुड़ी सनसनीखेज रिपोर्टिंग…

अश्लील और कानफोड़ू गानों से करें परहेज ……

शादी एक पवित्र और भावनात्मक अवसर होती है, जिसमें दो परिवारों का मिलन होता है। इस अवसर पर संगीत का चयन केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह…

घोर कलयुग की दस्तक ……. नैतिक पतन के चलते खतरे में इंसानी रिश्ते

समाज में कितना पतन बाकी है? यह सुनकर दिल दहल जाता है कि कोई बेटा अपने ही माता-पिता की इतनी निर्ममता से हत्या कर सकता है? महिला ने जेठ के…

भगत सिंह: “इंकलाब से आज तक”

“क्रांति बंदूक की गोली से नहीं, बल्कि विचारों की ताकत से आती है।” भगत सिंह का जीवन केवल एक क्रांतिकारी गाथा नहीं, बल्कि एक विचारधारा का प्रतीक है। उनकी शहादत…

जल दिवस: 22 मार्च विशेष- अतीत की गोद में सोए तालाब और बावड़ियाँ : बस पानी ही नहीं, कहानियों का खजाना

अगर हम तालाबों और बावड़ियों को सिर्फ़ पानी जमा करने की जगह समझते हैं, तो शायद हम उनके साथ न्याय नहीं कर रहे। ये सिर्फ़ जल-स्रोत नहीं, बल्कि सदियों की…

प्रसिद्धि की बैसाखी बनता साहित्य में चौर्यकर्म

✍️ डॉ. सत्यवान सौरभ साहित्य, जो समाज का दर्पण माना जाता है, आज स्वयं एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है—साहित्यिक चोरी। हाल ही में हरियाणा के एक लेखक…

यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन का भविष्य? 

यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन का दृष्टिकोण वर्तमान में अस्पष्ट है, जो राजनीतिक कारकों, सैन्य आवश्यकताओं और वैश्विक सम्बंधों द्वारा आकार लेता है। यूक्रेन को अमेरिकी सहायता का स्तर राजनीतिक…

क्या जघन्य अपराधियों की न सुनी जाये पैरोल की अर्ज़ी?

कैदियों की समय से पहले रिहाई से समाज को ख़तरा हो सकता है, खासकर तब जब वे बार-बार अपराध करते हों। हाल के वर्षों में, इस विचार में एक महत्त्वपूर्ण…

डॉक्टर बनने के लिए क्यों देश छोड़ रहे भारतीय छात्र? क्या शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर है या कुछ और?

घरेलू मेडिकल संस्थानों में उपलब्ध कुछ सीटों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा और इस तथ्य के कारण कि कुछ देश बहुत कम ट्यूशन फीस देते हैं, भारतीय छात्र अक्सर विदेश में…