Tag: डॉ सत्यवान सौरभ

हरियाणा की शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी, कोर्ट में उलझाने की रणनीति

हरियाणा की नई शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी शिक्षकों को राहत देने के बजाय कोर्ट की उलझनों में फँसाने वाली दिख रही है। इसमें कपल केस अंक हटाना परिवारों पर कुठाराघात है।…

ऑनलाइन गेमिंग बिल : “मनोरंजन, रोजगार और सामाजिक ज़िम्मेदारी के बीच संतुलन की तलाश”

लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को लेकर गहन बहस हुई। सरकार ने इसे समाज में जुए और लत जैसी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए आवश्यक बताया, जबकि विपक्ष ने…

सैनिक ही असली ध्वजवाहक : गाँव-नगरों में ध्वज केवल पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवारों के हाथों में लहराए

79वें स्वतंत्रता दिवस पर विशेष तिरंगा केवल राष्ट्रीय ध्वज नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आत्मा और बलिदानों की गाथा है। इसकी असली गरिमा तभी बनी रहेगी जब इसे वही हाथ…

न्यायालय की चेतावनी और समाज का आईना

डॉ. सत्यवान सौरभ “लव जिहाद” — एक ऐसा शब्द जो न तो भारतीय क़ानून में परिभाषित है, न संविधान में मान्यता प्राप्त, लेकिन फिर भी राजनीतिक मंचों, टीवी डिबेट्स और…

संविधान के हत्यारे कौन? – जब अवसरवाद शर्म को भी खा जाता है !

राजनीति में परिवर्तन स्वाभाविक है, लेकिन चरित्रहीनता नहीं। आज जो नेता इंदिरा गांधी को कोसते हुए ‘संविधान बचाओ’ का नारा लगा रहे हैं, कल को वही सत्ता में बने रहने…

आरक्षण: पीढ़ीगत विशेषाधिकार या वास्तविक न्याय? …….लाभार्थी कौन?

आरक्षण भारतीय समाज में सदियों से व्याप्त असमानताओं को समाप्त करने और वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाने का एक महत्वपूर्ण साधन है। लेकिन समय के साथ यह एक पीढ़ीगत…

मजदूरों का भारत : शोषण के साए में खड़ा विकास …..

“जिन हाथों ने इस देश की इमारतें खड़ी कीं, उन्हीं हाथों को आज रोटी, छत और पहचान के लिए जूझना पड़ रहा है। दिहाड़ीदार मजदूर केवल श्रम नहीं देते, वे…

राजनीति की रंगमंचीय दुश्मनी और जनता की असली बेवकूफी…….नेताओं की मोहब्बत और जनता की नादानी

कभी किरण चौधरी और शशि थरूर मंचों पर एक-दूसरे के खिलाफ़ खड़े होते हैं, कभी हिंदू-मुस्लिम के नाम पर पार्टियों की नीतियाँ बँटती हैं, और इसी बीच पिसती है आम…

अभी तो मेंहदी सूखी भी न थी: पहलगाँव की घाटी में इंसानियत की हत्या

जम्मू-कश्मीर के पहलगाँव में हुए आतंकी हमले में जहाँ एक नवविवाहित हिंदू पर्यटक को उसका नाम पूछकर सिर में गोली मार दी गई। ये हमला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि…

‘बिन तेरे बेचैन’ – हरियाणवी सिनेमा में प्रेम, जुनून और मानसिक उथल-पुथल की अनोखी कहानी ……..

यह फिल्म हरियाणवी सिनेमा के बदलते परिदृश्य को दर्शाती है, जो पारंपरिक कहानियों से आगे बढ़कर नए विषयों को अपनाने का प्रयास कर रही है। ‘बिन तेरे बेचैन’ प्रेम की…