Tag: बौद्ध धर्म

“जयंती का शोर, विचारों से ग़ैरहाज़िरी” – “मूर्ति की पूजा, विचारों की हत्या” – “हाथ में माला, मन में पाखंड”

बाबा साहेब की विरासत पर सत्ता की सियासत, जयंती या सत्ता का स्वार्थी तमाशा? बाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान…

5 मई, बुद्ध पूर्णिमा विशेष…….. अगर जीतना स्वयं को, बन सौरभ तू बुद्ध !!

बुद्ध का अभ्यास कहता है चरम तरीकों से बचें और तर्कसंगतता के बीच के रास्ते पर चलना समय की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, चल रहे यूक्रेन युद्ध जहां रूस…